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नवगछिया अनुमंडल का स्थापना दिवस आज, 52 वर्ष हुए पूरे, जिला बनने का सपना अब भी अधूरा

नवगछिया अनुमंडल का स्थापना दिवस आज, 52 वर्ष हुए पूरे, जिला बनने का सपना अब भी अधूरा 

नवगछिया (भागलपुर)। बिहार में गंगा और कोसी नदी के मध्य अवस्थित है नवगछिया अनुमंडल। जिसके 52 वर्ष पूरे हो गए। लेकिन जिला बनने का सपना अब भी अधूरा ही है। इसके अनुमंडल बनने के बाद से विकास की ओर लगातार अग्रसर है। 24 नवंबर 1972 को नवगछिया अनुमंडल की स्थापना की गई थी। पहले अनुमंडल पदाधिकारी के रूप में एक दिसंबर 1972 को पदाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने योगदान दिया था। वह 17 मई 1973 तक रहे थे। उस समय भागलपुर लोगों को जाने में पूरा दिन का समय लग जाता था। एक दिन में लोग काम करके लौट भी नहीं पाते थे। विक्रमशिला सेतु बनने से लोगों की यह मुश्किल आसान हो गई। गंगा नदी पर बने विक्रमशिला सेतु का निर्माण 1991 में शुरू हुआ था, जो 2001 में पूरा हो गया। शिलान्यास नवंबर 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था, जबकि उद्घाटन 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने किया।

बाबा विशु राउत सेतु ने निभाई अहम भूमिका

कोसी नदी के उस पार फैजान व लिबरेशन आर्मी गिरोह के वर्चस्व की लड़ाई में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके थे। बच्चे की मौत के डर लोग अपने पुत्र को दूसरे प्रदेश भेजने लगे थे। वर्ष 2010 में बाबा विशु राउत सेतु पुल का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। वर्ष 2015 में पुल का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही किया। पुल बन जाने से अपराध कम हुआ और लिबरेशन आर्मी व फैजान गिरोह समाप्त हो गया। यह पुल बनने से उत्तर बिहार का सीधा संपर्क पूर्वी बिहार से हो गया। साथ ही भागलपुर प्रमंडल और कोसी प्रमंडल के बीच यातायात भी सुगम हो गया।

नवगछिया अनुमंडल गंगा और कोसी नदी के मध्य है। अनुमंडल का लोकमानपुर, दुधैला, इस्माइलपुर के कई गांवों तक आने-जाने का रास्ता नहीं था। वहां बिजली नहीं थी। गांव में शुद्ध पेयजल, पक्की सड़क बन रही है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर शौचालय का निर्माण हो रहा है। 

अंतर्राष्ट्रीयस्तर पर अति संकटग्रस्त पक्षियों की सूची में शामिल हो चुके बड़े गरुड़ तेजी से भागलपुर के दियारा का रुख कर रहे हैं। विश्व में इनकी संख्या 1100 से 1200 के बीच है। पर्यावरण पर काम कर रही संस्था मंदार नेचर क्लब के 2014-15 के सर्वे के अनुसार विश्व में सर्वाधिक 550 के आसपास बड़े गरुड़ भागलपुर जिले में ही हैं। कोसी दियारा क्षेत्र में कदवा एवं खैरपुर पंचायत के विभिन्न टोले इनके प्रजनन क्षेत्र हैं।

बड़े गरुड़ का विश्व में यह तीसरा प्रजनन स्थल है। इसके अलावा कंबोडिया और असम में गरुड़ के बड़े प्रजनन क्षेत्र हैं। पहले असम में सबसे ज्यादा गरुड़ थे, अब भागलपुर में हैं। अब यहां पर संख्या घट रही है। पर्यावरणविदों का दावा है कि भागलपुर में 2014-15 के बीच इनकी संख्या में 200 का इजाफा हुआ है। 2006 से 2013 तक यहां इसकी संख्या में लगभग आठ गुना बढ़ी है। गरुड़ के आने से क्षेत्र का इकोलाजिकल बैलेंस बढ़ने के साथ ही नदी का प्रदूषण स्तर भी कम हो रहा है।

मंदारनेचर क्लब के सदस्य एवं टीएनबी कालेज के जूलाजी के प्रो. डा. डीएन चौधरी ने बताया कि हमने पहली बार पेंटेड स्टार्क के दो घोंसले देखे हैं। आने वाले वर्षों में पेंटेड स्टार्क की भी यह प्रजनन स्थली बन सकती है। आइयूसीएन के मुताबिक पेंटेड स्टार्क थ्रेटेंड स्पीशीज की कैटेगरी में आता है। डा. चौधरी को बिहार में पक्षियों के संरक्षण के 2008 में उपराष्ट्रपति डा. एम हामिद अंसारी ने अर्थ इको वारियर अवार्ड से नवाजा। अखिल भारतीय राष्ट्रभाषा संगठन ने भी इन्हें राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान दिया है।
गोपालपुर प्रखंड के अभिया का बाजार इस क्षेत्र के मुख्य बाजार में जाना जाता था। वहां से व्यवसायी वर्ग धीरे-धीरे नवगछिया में शिफ्ट करते गए। आवगमन के साधन सुगम होने के कारण काफी तेजी से नवगछिया बाजार विकसित हुआ। नवगछिया बाजार में पहले मक्का का व्यवसाय करने दूर दूर से लोग आते थे। धीरे-धीरे बाजार के क्षेत्र का दायरा बढ़ता गया। भागलपुर के बाद नवगछिया बाजार मुख्य बाजार के रूप में गिनती होती है।

जाम से जूझ रहा है नवगछिया बाजार
नवगछिया बाजार जाम से जूझ रहा है, जिसका समाधान काफी आवश्यक है। दुकान के आगे पार्किंग नहीं होने के कारण लोग सड़क पर वाहन लगाकर खरीदारी करते हैं। सब्जी मंडी का निर्धारित जगह होने के कारण जाम लगता है। दुकानदार अपनी दुकान के समान को सड़क तक लगा लेते हैं। जाम से मुक्ति के लिए सड़क को अतिक्रमण मुक्त करना होगा।

नवगछिया में केवल चार प्रखंड थे। नवगछिया, गोपालपुर, बिहपुर और खरीक, अब सात हैं। नवगछिया जिला बनने की कगार पर है। जिला बनने की नवगछिया पूरी अर्हता रखता है। पुलिस जिला तो बन गया है, अगर नवगछिया पूर्ण जिला बन गया तो और भी तेजी से विकास होगा। अनुमंडल की कुल जनसंख्या 747837 है। अनुमंडल का क्षेत्रफल 163987.48 है। कृषि योग्य भूमि 105725.22 हेक्टेयर है। यहां एक नगर परिषद, सात प्रखंड, 71 पंचायत, 181 राजस्व ग्राम, 99 चिरागी, 82 बेचिरागी और नौ कालेज हैं।