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ईश्वर को हंस कर भजें या रो कर, भजना तो पड़ेगा ही- स्वामी आगमानंद

ईश्वर को हंस कर भजें या रो कर, भजना तो पड़ेगा ही- स्वामी आगमानंद 


राजेश कानोडिया (नव-बिहार समाचार), साहू परवत्ता (नवगछिया)। जीव का आना-जाना ईश्वर की इच्छा और योजना पर निर्भर करता है। जिन्होंने जन्म लिया, उसकी मौत निश्चित होगी, यह शास्वत है। ये बातें श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने नवगछिया के साहू परबत्ता में आयोजित 'मातृ तर्पण व आत्मकल्याण सत्संग' के दौरान कही। इस अवसर पर उन्होंने संत महर्षि मेंहीं और संत कबीर को भी याद किया। स्वामी आगमानंद ने कबीर की व्यापकता को समझाने के लिए उनके एक दोहा को भी सुनाया। पाहन पूंजे हरि मिले, मैं तो पूजूं पहाड़, इससे तो चक्की भली, पीस खाय संसार। इसके अंतर्निहित अर्थ को समझाते हुए उन्होंने कहा कि- छोटे से पत्थर को पूजने से यदि हरि के दर्शन हो जाते हैं, इसलिए हम उस समष्टी रूप में पहाड़ की पूजा करते हैं। पत्थर व्यष्टि का प्रतीक और पहाड़ समष्टि का प्रतीक है। जो लोग इसे नहीं समझते हैं ऐसे ही लोग इस संसार रूपी चक्की में पिसकर अपना जीवन समाप्त कर देते हैं। इसी को समझने के लिए सत्संग, भागवत और गुरु के शरण में जाने की आवश्यकता होती है। मौके पर स्वामी आगमानंद जी महाराज ने भजन सुनाते हुए कहा- जीवन का मैंने सौंप दिया सब भार आपके हाथों में, उद्धार-पतन सब मेरा है सरकार आपके हाथों में। इसके बाद स्वामी आगमानंद ने कहा- हंस कर ईश्वर को भजें या रो कर, ईश्वर को भजना तो पड़ेगा ही।

इस अवसर पर स्वामी आगमानंद महाराज सहित कई विद्वानों ने दिवंगत शोभा देवी को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर भजन सम्राट डा. हिमांशु मोहन मिश्र ने  प्रो करील जी की रचना (दिनवां जिनिगिया के थोर रे, हरि भजले रे भैया) और प्रो मदन मोहन मिश्र जी की रचना (भैया जग में आके राम नाम तों भजिहो हो, जीवन सफल बनैहो हो ना) सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। माधवानंद ठाकुर ने आदमी खिलौना है गीत गाया। इसके के अलावा सुबोध दा, बलबीर सिंह बग्घा, पवन दुबे ने कई भजन प्रस्तुत किए। जिसका संचालन दिलीप शास्त्री ने किया। मौके पर वेदांति शंभू नाथ शास्त्री, पंडित ज्योतिन्द्र प्रसाद चौधरी, गीतकार राजकुमार, स्वामी मानवानंद, मृत्युंजय कुंवर, मनोरंजन प्रसाद सिंह, पुष्पा शास्त्री आदि ने भी संबोधित किया। 

गीतकार कविवर राजकुमार ने श्राद्ध एवं पितृ पक्ष की महत्ता एवं महाराज अग्रसेन जी की 5148वीं जयंती पर उनके समाजवाद और यश कीर्ति पर प्रकाश डालते हुए अपनी काव्य रचनाओं से उपस्थित विद्वतजनों एवं परिसर में उपस्थित सुधी श्रोताओं की भारी भीड़ को आह्लादित कर दिया। इस अवसर पर श्री शिवशक्ति योगपीठ के अभिभावक स्वामी शिवप्रेमानंद भाई जी, कुंदन बाबा और इस्माइलपुर की अंचलाधिकारी गुड़िया कुमारी मौजूद थे। सत्येन्द्र प्रसाद साहू, अरविंद साहू मंटू, सोनू, हरिओम प्रसाद साहू, अवधेश प्रसाद साहू, मणिलेश, कौशलेश, उमेश, राजीव, अरविन्द, नवीन, प्रवीण, अमित, आलोक, प्रभाष, पारसा, दीनू बाबू आदि ने स्वामी आगमानंद महाराज का माल्यार्पण किया।