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सनातन संस्कृति ही है विश्व बंधुत्व का पर्याय: कुलपति जवाहर लाल

सनातन संस्कृति ही है विश्व बंधुत्व का पर्याय:  कुलपति जवाहर लाल
 

भागलपुर: राष्ट्रीय सेवा योजना, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ,भागलपुर एवम् विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी भागलपुर शाखा द्वारा आयोजित वर्चुअल संगोष्ठी में बोलते हुए माननीय कुलपति महोदय ने कहा कि विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के लिए बंधुत्व की भावना आवश्यक है और विश्व बंधुत्व की भावना के माध्यम से ही भारत विश्व गुरु की अपनी उपाधि को पुनः प्राप्त कर पाएगा । उन्होंने विश्व बंधुत्व और सनातन संस्कृति विषय पर बोलते हुए कहा कि सनातन संस्कृति का प्रत्येक आयाम विश्व बंधुत्व का पर्याय है । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के प्रोफेसर किस्मत कुमार सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति के वैदिक श्लोक, उपनिषद ,सूत्र सभी अपने आप में एकत्व में वैविध्य का प्रतीक है इसलिए भारतीय संस्कृति जिसे हम सनातन संस्कृति कहते हैं वह विश्व बंधुत्व की भावना से रची बसी हुई है । उन्होंने इस अवसर पर यह भी कहा कि बहुत ही चतुराई के माध्यम से एकत्व में वैविध्य के स्थान पर विविधता में एकता के विमर्श को स्थापित कर दिया गया।  विषय प्रवेश करते हुए विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी बिहार झारखंड के संपर्क प्रमुख श्री विजय वर्मा ने स्वामी विवेकानंद के सर्वधर्म सम्मेलन और विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के विचार क्रांति अभियान पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर राहुल कुमार ने किया तो वहीं कार्यक्रम में स्वागत भाषण विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी भागलपुर शाखा के नगर संचालक प्रोफेसर राज भूषण जी ने किया। इस कार्यक्रम में कई विभागाध्यक्ष, प्राचार्य, शिक्षक, कार्यक्रम पदाधिकारी और स्वयंसेवक सेविका जुड़े हुए थे।