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भारतीयों को चैत्र शुक्ल पक्ष एक नव संवत्सर पर ही नया साल मनाना चाहिए- स्वामी आगमानंद


भारतीयों को चैत्र शुक्ल पक्ष एक नव संवत्सर पर ही नया साल मनाना चाहिए- स्वामी आगमानंद 
राजेश कानोडिया, नवगछिया (भागलपुर) । हम भारतीयों को चैत्र शुक्ल पक्ष एक नव संवत्सर पर ही नया साल मनाना चाहिए। इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। शको को पराजित कर विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की स्थापना की। य़ह दिन किसी उत्सव से कम नहीं है। विक्रम संवत 2081 की सभी को शुभकामनाएं देते हुए ये बातें नवगछिया प्रखंड के खगड़ा मैदान में आयोजित नौ दिवसीय श्री शतचंडी महायज्ञ एवं श्री रामकथा महायज्ञ और नव संवत्सर समारोह के शुभारंभ के मौके पर मंच से कही। साथ ही स्वामी आगमानंद ने कहा कि हम कोई भी कार्य हिन्दी तिथि के अनुसार करें। जन्मदिन या वैवाहिक समारोह हिन्दी तिथि के अनुसार मनाएं। उन्होंने कहा कि आज से ही देवी दुर्गा की आराधना शुरू हो रही है। यह तिथि भगवान राम से भी जुड़ी है। नवमी तिथि को भगवान राम का अवतरण हुआ है। इस दौरान सनातन संस्कृति की रक्षा करने, भारत को विश्व गुरु बनाने, हिन्दी, हिंदू, हिन्दुत्व, हिन्दुस्थान के लिए स्वयं को समर्पित करने का आह्वान किया। स्वामी आगमानन्द जी महाराज ने भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला।
इससे पहले स्वामी आगमानन्द के नेतृत्व में पूर्व कुलपति प्रो एके राय, प्रो नृपेन्द्र प्रसाद वर्मा, डॉ आशा तिवारी ओझा, डा ज्योतिन्द्र प्रसाद चौधरी, राजीव कांत मिश्र, हरिशंकर ओझा, प्रो अशोक ठाकुर, गीतकार राजकुमार, शिव प्रेमानंद भाई जी, कुंदन बाबा, डा मृत्युंजय सिंह गंगा, दिलीप शास्त्री, सिया शरण पोद्दार, विनय परिमार, मुरारी द्विज ने दीप प्रज्वलित कर समारोह मंच का उद्घाटन किया। साथ ही सबों ने अपने अपने भावोद्गार व्यक्त किया। मौके पर गीतकार राजकुमार ने अपनी स्वरचित रचना सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया। समारोह का संचालन डॉ मिहिर मोहन मिश्र सुमन ने किया। 
वहीँ इसके पूर्व खगडा में यज्ञ शुरू होने के पूर्व 5000 से ज्यादा महिलाओं ने कलश शोभा यात्रा निकाली। जो जगतपुर स्थित शिव मन्दिर तक गयी। जहां से सभी कलश में गंगा जल भर कर वापस मुख्य मार्ग से यज्ञ स्थल पहुंची। स्वामी आगमानंद जी मौजूद रहे। जहां नवगछिया स्थित श्री शिवशक्ति योगपीठ के तत्वावधान में मंगलवार को चैत्र शुक्ल पक्ष एक वर्ष प्रतिपदा नव संवत्सर पर विशेष कार्यक्रम के तहत श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के सानिध्य में योगपीठ से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें काफी संख्या में शिष्य और व्श्रद्धालुओं सहित आम लोग शामिल थे।