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कथा श्रवण करना कथा कहने से ज्यादा लाभकारी होता है- स्वामी आगमानंद जी महाराज

कथा श्रवण करना कथा कहने से ज्यादा लाभकारी होता है- स्वामी आगमानंद जी महाराज 
राजेश कानोडिया (नव-बिहार समाचार), महदत्तपुर / खगड़ा (नवगछिया) । प्रखंड के महदत्तपुर में मंगलवार से शुरू हुए रामनवमी कार्यक्रम का उद्घाटन श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर और श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने किया । रामनवमी 17 अप्रैल तक चलने वाले इस आध्यात्मिक कार्यक्रम में वृंदावन से पधारीं सुमन किशोरी जी का प्रवचन हो रहा है। कथा के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि कथा श्रवण करना कथा कहने से ज्यादा लाभकारी होता है। शिव जी ने भी रामकथा अगस्त मुनि से सुनी थी, जबकि शिव जी को राम कथा के रचियता हैं। सुमन किशोरी जी ने रामकथा के दौरान भगवान राम के बाल लीलाओं की चर्चा की। 
वहीं, दूसरी ओर, खगड़ा में चल रहे नौ दिवसीय श्री शतचंडी महायज्ञ और श्री रामकथा महायज्ञ के तीसरे दिन गुरुवार को श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि गोस्वामी तुलसी दास ने रामचरितमानस में संतों के साथ असंतों की भी बंदना की है। उन्होंने कहा कि संत से बिछुडते समय कष्ट होता है और असंत से मिलते समय कष्ट होता है, दोनों कष्टकारी हैं। इसलिए उन्होंने दोनों की पूजा की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य में कभी भी समानता नहीं हो सकती है। यही मानवता की पहचान है। भारतीय और सनातन हिंदू संस्कृति इसी बात के लिए जानी जाती है। स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि रामचरितमानस में बालकंड और उत्तरकांड गूढ़ हैं, जो जीवन जीने की सीख देती है। स्वामी आगमानंद ने कहा कि संत चलता फिरता तीर्थ है। संत और गुरु ईश्वर से साक्षात्कार कराते हैं। वे अपने शिष्यों की हर प्रकार की रक्षा करते हैं। संत हृदय गंगा के समान होता है। संत को जो भी मिलता है वह दूसरे में बांट देते हैं। इस अवसर पर पंडित ज्योतिन्द्र प्रसाद चौधरी, स्वामी मानवानंद, शिव प्रेमानंद भाई जी, कुंदन बाबा, मनोरंजन प्रसाद सिंह आदि मौजूद थे।
राम जन्मोत्सव की निकली झांकी
खगड़ा में श्री शतचंडी महायज्ञ और श्री रामकथा महायज्ञ के दौरान भगवान राम के जन्म की सुंदर झांकी निकाली गई। इस दौरान स्वामी आगमानंद जी कहा कि बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार॥ राम के जन्म के समय सारे देवी-देवता, संत-महात्मा भगवान के बाल रूप को देखने को वहां पहुंचे। इससे पहले उन्होंने शिव और सती की विवाह फिर सती की प्राण त्याग की कथा सुनाई। पार्वती जन्म और शिव-पार्वती की विवाह की भी कथा को उन्होंने सुनाया। उन्होंने कहा कि सबको लेकर सत्संग में आएं। इसका प्रभाव पड़ता है। सत्संग से सद्ज्ञान की प्राप्ति होती है।