श्रीरामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए- परमहंस स्वामी आगमानंद
राजेश कानोड़िया (नव-बिहार समाचार), नवगछिया (भागलपुर)। श्रीरामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए। क्योंकि सर्व सुलभ इस ग्रंथ से पता चलता है कि भगवान राम ने अपने सब रिश्तों को आदर्श के रूप में स्थापित किया है। उनके व्यक्तित्व और चरित्र से हम आदर्श जीवन जीने के सूत्र को समझते हैं। 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी। यह दिन किसी राष्ट्रीय त्योहार से कम नहीं है। भगवान राम राष्ट्र के नायक हैं। इसलिए 22 जनवरी को आप अपने अपने घरों एवं मंदिरों को दीप जलाकर सजा दें। साथ ही रामचरितमानस, हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ भी करें या भगवान राम पर चर्चा करें अथवा रामधुन आयोजित करें या सीताराम सीताराम का जाप, भजन जागरण आदि करते रहें। उस दिन ऐसा लगे कि भगवान राम आज ही अयोध्या में प्रकट हुए हैं। सब मिलकर गाएं, भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी।
उपरोक्त बातें भागलपुर जिला अंतर्गत नवगछिया प्रखंड के खगड़ा ग्राम स्थित भगवती मंदिर प्रांगण में आयोजित एक आध्यात्मिक कार्यक्रम के दौरान श्री उत्तरतोताद्रिमठ विभीषणपुर अयोध्या के उत्तराधिकारी श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने अध्यक्षता करने के दौरान कही। जहां कई विद्वान भी पहुंचे थे। इस कार्यक्रम को भजन सम्राट डॉ हिमांशु मोहन मिश्रा दीपक, गीतकार राजकुमार, स्वामी मानवानंद, पंडित चंद्रकांत झा, डॉ पीसी पांडेय, पंडित प्रेम शंकर भारती, आचार्य शिव प्रेमानंद, कुंदन बाबा आदि ने भी संबोधित किया।
गीतकार राजकुमार ने अपनी स्वरचित कविता सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। "हुए अवध में अवतरित, क्यों रघुवर प्रभु राम। पूरी धरती हो गई, स्वत: अयोध्याधाम।।" "मां मय जिनकी चेतना, शिवमय जिनके छंद, राज राममय है वही, सिद्ध आगमानंद।।" गीतकार राजकुमार की इस अद्भुत कविता की वहां जमकर प्रशंसा हुई। मौके पर भजन सम्राट डॉक्टर हिमांशु मोहन मिश्रा दीपक ने रामचरितमानस और विनयपत्रिका की चौपाई और छंदों को सुनाकर सबको राममय कर दिया।
डॉ पीसी मिश्रा ने कहा कि राम के चरित्र को आत्मसात कर ही हम रामोत्सव बनाने योग्य हो सकते हैं। इस अवसर पर श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के अनुयायी सुमन शास्त्री, शशि सिंह, मुन्ना सिंह, दीपक यादुका, उत्तम, नंदन, मुन्ना, सौरभ सोनू, आलोक, सत्यम, अरुण सिंह, नयन सिंह आदि शिष्यगण भी मौजूद थे।