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रामोत्सव: सत्रह सौ वर्ष पूर्व सात द्वीप एवं सात खण्ड में रामराज था - स्वामी आगमानंद

रामोत्सव: सत्रह सौ वर्ष पूर्व सात द्वीप एवं सात खण्ड में रामराज था - स्वामी आगमानंद
नव-बिहार समाचार, सहरसा। सत्रह सौ वर्ष पूर्व सात द्वीप एवं सात खण्ड में रामराज था जिसका अध्यात्मिक राजधानी अयोध्या नगरी था। एक बार फिर आज पूरा विश्व राममय हो गया है‌। एक तरफ अयोध्या में रामलला के साथ धबौली में भी श्री राम दरबार का भक्ति भाव से स्थापना हुआ और पूरा धबौली भी ऐसा सजधज कर तैयार है कि छोटा अयोध्या हो गया है। उत्सवी माहौल है।
ये बातें पतरघट प्रखंड के धबौली में आयोजित दो दिवसीय श्रीराम दरबार स्थापना एवं श्रीराम कथा के समापन दिवस के मौके पर श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर एवं उत्तरतोताद्रिमठ अयोध्या के उतराधिकारी परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज रामचन्द्रार्चाय जी ने कही।  कथा व्यास ने भगवान श्री राम के बाल काल के साथ भगवान के शिक्षा दीक्षा के साथ पावन विवाहोत्सव के साथ लोककल्याण को लेकर राज्याभिषेक पर विशेष चर्चा किया। साथ ही कहा कि भगवान निर्गुण निरंकार है। जिनमें सबकुछ समाहित हैं।  
इससे पहले 51 शिष्यों को परम पूज्य स्वामी जी के द्वारा दीक्षा दिया गया। 
इस कार्यक्रम को लेकर ग्रामीण अजय आनंद, मनोज सिंह, आभाष कुमार रमण, अजिताभ सिंह, रुद्रानंद सिंह,  सोना सुधीर, गौतम सिंह,  संतोष सिंह,  सनोज सिंह,  सुमन सिंह, अंकित सिंह, रंजन सिंह, जयंत सिंह, शिवजी शरण, आशीष सिंह, रघुनंदन सिंह छोटू, संजय ठाकुर, रितुराज सिंह, नीतीश निक्कू, निक्कू झा समेत वृहत्तर धबौली का लोगों ने सहयोग किया । कार्यक्रम में श्री शिवशक्ति योगपीठ से जुड़े  स्वामी शिव प्रेमानंद, स्वामी मानवानंद जी, मनोरंजन प्रसाद सिंह, कुंदन बाबा, पंडित अनिरुद्ध शासत्री, सिकन्दर प्रसाद सिंह, राजेश कुमार सिंह, युवराज सिंह, विप्लव रंजन, गुंजेश सिंह, संजय राणा, रामकुमार सिंह, पिन्टू तिवारी समेत अन्य ज़िलों के लोग शामिल थे।