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शिवशक्ति योगपीठ में अयोध्या के स्वामी अनन्ताचार्य का हुआ भव्य स्वागत

शिवशक्ति योगपीठ में अयोध्या के स्वामी अनन्ताचार्य का हुआ भव्य स्वागत
नाम जप करना ही सबसे बड़ा यज्ञ है- स्वामी आगमानंद

नव-बिहार समाचार, नवगछिया (भागलपुर)। श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया में श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीकुंड अयोध्या के पीठाधीश्वर श्रीमदजगदगुरु रामानुजाचार्य अनंत श्री विभूषित बाल ब्रह्मचारी स्वामी अनन्ताचार्य के पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। श्री शिवशक्ति योगपीठ के पीठाधीश्वर श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी ने स्वयं उनके चरण पखारे और उनकी पूजा की। अपने गुरु को सामने देखकर स्वामी आगमानंद जी महाराज काफी अभिभूत थे। इसके पूर्व बिहपुर स्थित प्राचीन श्रीसीताराम मंदिर में विराजमान भगवान श्रीरामपरिवार का उन्होंने दर्शन किया। 
श्री शिवशक्ति योगपीठ में श्रीअयोध्या जी से पधारे आचार्य देव अनंतश्री विभूषित पूज्य स्वामी श्रीअनंताचार्य जी महाराज के सानिध्य एवं योगपीठ के पीठाधीश्वर सिद्ध संत परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज जैसे रससिद्ध कवि एवं सिद्ध गुरु के सुमधुर संचालन में दिव्य एवं भव्य सत्संग आयोजित हुआ।
स्वामी अनंताचार्य ने कहा कि इस धरा पर कोई भी सुखी नहीं है, क्योंकि ऐसे लोग उस चीज की मांग करते हैं, जो नष्ट हो जाता है। इस कारण वे सुखी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर से मांगनी है तो ऐसी चीज मांगें जो कभी नष्ट नहीं हो। तभी वे सुखी रह पाएंगे। स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि नाम जप करना सबसे बड़ा यज्ञ है। भगवान का नाम जपें कल्याण हो जाएगा। सभी यज्ञ में श्रेष्ठ यज्ञ नाम जप है। बस नाम का जप करते रहें।
इस दौरान प्रो (डॉ.)नृपेन्द्र प्रसाद वर्मा, पं.श्री शंभुनाथ शास्त्री वेदांती, गीतकार राजकुमार, आचार्य शिवशंकर ठाकुर, 
सिया शरण पोद्दार, विनय कुमार सिंह परमार, स्वामी शिव प्रेमानंद 'भाय जी', स्वामी मानवानंद, मनोरंजन प्रसाद सिंह, डा. विनोद कुमार, कौलाचार्य कुंदन बाबा, प्रेमशंकर भारती, पं.श्री सुवंश ठाकुर, दिलीप शास्त्री आदि जैसे कई संत एवं विद्वानों अपने-अपने उद्गार व्यक्त किये। 
नगरह की कवयित्री सुश्री तृप्ति पांडेय ने अपनी काव्य रचना से तथा भजनसम्राट डा. हिमांशु मोहन मिश्र दीपक मिश्र जी, माधवानंद ठाकुर, बलवीर सिंह बग्घा जी, सुबोध जी, कपीश जी, पवन दुबे आदि गायकों ने अपनी भजन गायिकी से लोगों को आकर्षित किये रहे। कार्यक्रम में शैलो सिंह, आशु, श्वेत कमल, मंटू जी, नयन जी, दीपक यादुका जी, राजेश कनोडिया जी, उत्तम जी, दुल्लो जी, पुष्कर जी, गौतम पांडेय जी, कुंदन जी, पप्पू जी, बिक्कूजी, मुकुल जी, विनोद बाबू, सौरभ सोनू, पिंटू जी, मानस जी, मुन्ना जी, नटवर जी, शुभम आनंद जी, नंदन जी, टुन्ना जी जैसे अनेकानेक समर्पित गुरुभक्तों ने सत्संग में उपस्थित भारी भीड़ को व्यवस्थित करने से लेकर प्रसाद वितरण में अपना योगदान अनंतर देते रहे। 
गीतकार राजकुमार ने सत्संग समारोह में 'महारास' एवं 'शरद ऋतु' पर बोलते हुए अपनी काव्य रचनाओं से उपस्थित सत्संग प्रेमियों की भारी भीड़ एवं मंचस्थ विद्वतजनों एवं संतजनों को विमोहित कर मंत्रमुग्ध कर दिया।