परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज द्वारा मोबाईल पर आयोजित हुई राष्ट्र के नाम समर्पित कविगोष्ठी
नव-बिहार समाचार, भागलपुर। भारत के स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास में पूरे अगस्त माह का महत्त्व है। नौ अगस्त १९४२ को अंग्रेजों भारत छोड़ो, 11अगस्त को करो या मरो के आह्वान पर पटना सचिवाल पर से युनियन जैक का झण्डा उतारने वाले सात युवाओं का शहादत दिवस और १५अगस्त१९४७ को भारत की आजादी इसी माह में मिली थी। इसलिए भारत की आजादी के परिप्रेक्ष्य में यह एक पावन मास माना जाता है। हिन्दी पंचांग में यह सावन मास है जो गोस्वामी तुलसीदास का अवतरण मास भी है। इस पावन मास के ११अगस्त के दिन के एक बजे पं रामचन्द्र पाण्डेय रसिक (परमहंस स्वामी आगमानन्द जी) के सौजन्य से एक दूरभाष संजाल संगोष्ठी का आयोजन हुआ। वर्क फ्रॉम होम के तर्ज पर संगोष्ठी फ्राॅम होम की एक जीवंत परम्परा की जो शुरुआत सुधी साहित्यकार पाण्डेय रसिक जी ने की है उसकी कई किस्त पहले भी हो चुकी है। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता हिन्दी भाषा और साहित्य के अधीत विद्वान, कवि, कथाकार और नाटककार प्रो (डा) तपेश्वर नाथ प्रसाद ने लखनऊ प्रवास से की। दूरभाष पर जुड़ने वाले साहित्यकारों में मुख्य रूप से कुलगीतकार विद्यावाचस्पति डा आमोद कुमार मिश्र, गीतों के राजकुमार आशुकवि राजकुमार जी, भोजपुरी के कवि डा मथुरा दूबे, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ के उपकुलपति डा रामजन्म मिश्र, संस्कृत और हिन्दी के पण्डित प्रोफेसर लक्ष्मीश्वर झा एवं अन्य कई नामचीन साहित्यकार इस दूरभाष संजाल से संलग्न हुए।समय, संस्कृति और साहित्य पर लघु विमर्श के बाद कविता का दौर चला जिसमें सबने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ कर दूरभाष संजाल संगोष्ठी को जीवंत बना दिया।। इस अवसर पर समाज के उन्नायक गोस्वामी तुलसीदास से संबंधित ग्रंथ संपादित -प्रकाशित करने का परमहंस आगमानन्द जी के प्रस्ताव पर आम सहमति हुई। कार्यक्रम का संचालन स्वामी आगमानन्द जी चलायमान अवस्था में सफलतापूर्वक करते रहे और धन्यवाद ज्ञापन नृपेंद्र वर्मा ने पटना आवास से किया।