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तीन दिवसीय अंग-अंगिका महोत्सव की सफलता को लेकर नवगछिया में हुई बैठक

तीन दिवसीय अंग-अंगिका महोत्सव की सफलता को लेकर नवगछिया में हुई बैठक 
नव-बिहार समाचार, नवगछिया, (भागलपुर)। अंगिका भाषा को समृद्धि देने एवं अंग की सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने को लेकर बिहार की राजधानी पटना में पहली बार 28 अक्टूबर 2023 से तीन दिवसीय अंग-अंगिका महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। पटना में आयोजित होने वाले अंग अंगिका महोत्सव कई मायनों में खास यादगार बनाने को लेकर कार्यक्रम आयोजन समिति अंग जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में अंगिका के विकास के संघर्षरत साहित्यकार, समाजसेवी व बुद्धिजीवी से सम्पर्क व बैठक आयोजित कर कार्यक्रम को लेकर सलाह- सुझाव लिया जा रहा है। इसी कड़ी में नवगछिया के आचार्य टोला में साकेत सुमन आचार्य के दरवाजा पर एक बैठक सम्पन्न हुई। 
बैठक की अध्यक्षता करते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष किशोर जायसवाल ने कहा कि अंगिका भाषा को समृद्धि देने एवं अंग की सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने के लिए ही पटना की धरती पर पहली बार 28 अक्टूबर 2023 से तीन दिवसीय अंग अंगिका महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर एक ऐतिहासिक स्मारिका का भी प्रकाशन किया जा रहा है जो अंगिका भाषा में ही होगा।
आयोजन समिति के कार्यक्रम संयोजक सह साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने कहा कि अंगिका भाषा अंग प्रदेश की क्रांतिकारी आवाज बन चुकी है। जिस प्रकार अपनी भाषा के बल पर सिद्धो ने जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई थी। वह परंपरा व ताकत अंगिका भाषा में है। अंगिका भाषा का मानक तय करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हिंदी, अंग्रेजी या किसी भाषा से कोई दुश्मनी या लड़ाई नहीं है, लेकिन अपनी मातृभाषा अंगिका की उपेक्षा लोगों को कतई सहन नहीं करनी चाहिए।
कार्यक्रम सचिव डॉ विभू रंजन ने कहा कि अंगिका हिंदुस्तान की प्राचीन और मूल भाषा है, इसकी जड़ें वैदिक साहित्य से लेकर आधुनिक साहित्य तक फैली हुई हैं। अंगिका भाषा में साहित्य की प्रचुर संभावनाएं हैं और लोग लिख भी रहे हैं। उन्होंने इस भाषा को और भी मजबूत बनाने के लिए अंग क्षेत्र के लोगों से आगे आने की अपील की। उन्हाेंने कहा कि इस भाषा को इसकी वास्तविक पहचान दिलानी होगी।
सेवानिवृत्त संयुक्त आयकर आयुक्त कैलाश ठाकुर ने कहा कि अंगिका हमारी मातृभाषा है। अंगिका भाषा आज तक अंग वासियों के कारण ही उपेक्षित रही है। अंगवासी इसके विकास की बात तो करते हैं, लेकिन अपनी जुबान अंगिका में खोलने में लज्‍जा महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी, अंग्रेजी या किसी भाषा से कोई दुश्मनी या लड़ाई नहीं है, लेकिन अपनी मातृभाषा अंगिका की उपेक्षा लोगों को कतई सहन नहीं करनी चाहिए। मौके पर अंगिका कवि फूल कुमार अकेला ने अपनी काव्य भी प्रस्तुत किया।
बैठक में आयोजन समिति के सचिव डा विभूरंजन, कार्यक्रम संयोजक संजय कुमार सुमन, कैलाश ठाकुर, अंगिका कवि फुलकुमार अकेला, अभिनंदन, स्थानीय अंगिका प्रेमी सुमन आचार्य उर्फ विपुल जी, विवेकानंद आचार्य, अखिलेश आचार्य, मंगलेश आचार्य, बबलू शर्मा, अमृत आचार्य, दीपक आचार्य, भार्गव आचार्य, शैलेश शरण आचार्य, अंकित कुमार  समेत दर्जनों अंगिका प्रेमी उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाने का संकल्प लिया।