धीरे-धीरे जलप्रवाह कम हो गया और पृथ्वी दिखने लगी - डॉ० श्रवण शास्त्री
नवगछिया। नगर परिषद स्थित बड़ी घाट ठाकुरबाड़ी में चल रहे अभिषेकात्मक महारूद्र यज्ञ के पांचवें दिन मत्स्य महापुराण की कथा कहते हुए पुराण प्रवक्ता विद्या वाचस्पति डॉ० श्रवण जी शास्त्री ने कहा कि प्रलय के अंत होने के समय भगवान ने हयग्रीव असुर को वध कर उससे वेद पुन: वापस लिए और ब्रह्माजी को सौंप दिया। इस तरह धीरे-धीरे जल का प्रवाह कम होने लगा और पृथ्वी दिखने लगी। राजा सत्यव्रत ने जो बीज, औषधि रखे थे उससे पूरा संसार भर गया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने मानसी सृष्टि की रचना की। लेकिन उस सृष्टि का कोई परिणाम न देखकर दक्ष प्रजापति मैथुनी-सृष्टि से संसार का विकास करते हैं। यही राजा सत्यव्रत सातवें वैवश्वत मनु हुए, जिनका समय आज भी चल रहा है और हम सभी मनु की संतान हैं।
मत्स्य पुराण के मुख्य यजमान के रूप में शिक्षाविद विश्वास झा सपत्नीक शिखा कुमारी ने पूजन व आरती कर कथा श्रवण किया। वहीं दूसरी तरफ दिन के अभिषेक में राजेश कुमार शर्मा, मनोज सिंह, पंकज सिंह, अविनाश सिंह, अभिनव भानू मनीष, रात्रि के अभिषेक में त्रिपुरारी कुमार भारती सपत्नीक शिक्षिका रूबी कुमारी सपरिवार सहित भाग लिया। मौके पर पं० अविनाश मिश्रा, मंच व्यवस्था प्रमुख अजीत कुमार, सचिव प्रवीण भगत, कुमार मिलन सागर, पं० विशाल झा, पं० केशव शास्त्री, वैदिकाचार्य ललित शास्त्री, पं० आशीष झा सहित अन्य विद्वानजनों ने सहयोग किया।