ताजा समाचार :

6/Posts/ticker posts

मनोविज्ञान विभाग में 10 व 11 मई को लगेगा विद्वानों का जमघट, नेपाल और बांग्लादेश के वक्ता भी करेंगे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित

मनोविज्ञान विभाग में 10 व 11 मई को लगेगा विद्वानों का जमघट, नेपाल और बांग्लादेश के वक्ता भी करेंगे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित
भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के पीजी मनोविज्ञान विभाग में 10 और 11 मई को इंडियन स्कूल ऑफ साइकोलॉजी एसोसिएशन (इंस्पा) के तत्वावधान में दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस) का आयोजन किया जाएगा। कॉन्फ्रेंस में नेपाल और बांग्लादेश समेत देश भर के बड़े संस्थानों के वक्ता भाग लेंगे। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की विस्तृत जानकारी शुक्रवार को पीजी मनोविज्ञान विभाग में आयोजन समिति के द्वारा एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दी गई।
    पीजी साइकोलॉजी विभाग की हेड व कॉन्फ्रेंस की कन्वेनर डॉ संगीता झा ने बताया की 10 और 11 मई को विभाग में आयोजित होने वाले सम्मेलन के मुख्य संरक्षक  तिलकामांझी भागलपुर विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहर लाल हैं। जबकि प्रतिकुलपति प्रो. रमेश कुमार संरक्षक हैं। उन्होंने बताया की आयोजन को सफल बनाने में विभाग के सभी शिक्षक, कर्मी, शोधार्थी और छात्र- छात्राएं पूरे मनोयोग से लगे हुए हैं।
       कॉन्फ्रेंस की आयोजन सचिव व पीजी मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ लक्ष्मी पाण्डेय ने बताया की कार्यक्रम की तैयारी शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का विषय "जेंडर इक्वालिटी एंड वूमेन इम्पावरमेंट : व्हेयर डू वी स्टैंड इन एशियन पर्सपेक्टिव" रखा गया है।
आयोजन सचिव डॉ लक्ष्मी पाण्डेय ने बताया की नेपाल के त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से डॉ एन. ठागना, बांग्लादेश स्थित बिरेंद्र यूनिवर्सिटी राजशाही से डॉ रावांक आरा प्रबीन समेत महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्विद्यालय वर्धा की डॉ सुप्रिया पाठक, एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के पूर्व डायरेक्टर डॉ डीएम दिवाकर, पटना यूनिवर्सिटी की डॉ ज्योति वर्मा वक्ता होंगे। इसके अलावे देश के कई अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों के विद्वान भी कार्यक्रम में भाग लेंगे। उन्होंने बताया की कॉन्फ्रेंस का थीम बहुआयामी है। इसमें सभी विषयों और संकायों के छात्र - छात्राएं, शोधार्थी एवं शिक्षक भाग ले सकते हैं। कॉन्फ्रेंस का विषय काफी सारगर्भित, सम सामयिक और ज्वलंत है। इससे निकलने वाला निष्कर्ष निःसंदेह समाज की बेहतरी में मील का पत्थर साबित होगा। साथ ही पॉलिसी निर्माण में भी सरकार के लिए मददगार साबित हो सकता है।
मौके पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस की संयुक्त आयोजन सचिव डॉ सपना ने विस्तार से कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी देते हुए कहा कि कॉन्फ्रेंस के थीम से संबंधित एब्सट्रेक्ट का प्रकाशन भी किया जाएगा। एब्स्ट्रेक्ट और फूल लेंथ पेपर हिंदी या अंग्रेजी में लिए जायेंगे।
कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वाले शिक्षक, शोधार्थी और छात्र 30 अप्रैल तक एब्सट्रेक्ट के लिए आलेख जमा कर सकते हैं। जबकि पूर्ण शोध आलेख जमा करने की अंतिम तिथि 5 मई निर्धारित है। 
कार्यक्रम में ऑनलाइन प्रेजेंटेशन की भी व्यवस्था रहेगी। उन्होंने बताया की 3 मई तक रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीके से कराया जा सकता है। कॉन्फ्रेंस में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के विविध आयामों पर चर्चा होगी। कॉन्फ्रेंस के मुख्य थीम के अलावे कई उप-विषय वस्तु भी रखे गए हैं। दो दिनों तक चलने वाले सम्मेलन को कई तकनीकी सत्रों में भी बांटा जाएगा। प्रतिभागी ओरल, पोस्टर और मॉडल प्रेजेंटेशन भी कर सकते हैं।
प्रेस कांफ्रेंस में पीजी साइकोलॉजी विभाग की हेड डॉ संगीता झा, आयोजन सचिव डॉ लक्ष्मी पाण्डेय, संयुक्त आयोजन सचिव डॉ सपना, डॉ निरंजन यादव, विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर आदि उपस्थित थे।