नवगछिया में मंजूषा पेंटिंग के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन जरूरी, हुनर की कोई कमी नहीं- मुकेश राणा
राजेश कानोडिया, नवगछिया (भागलपुर)। बिहार के मिथिला क्षेत्र की मशहूर मधुबनी पेंटिंग की तरह ही अंग प्रदेश की मशहूर लोककला मंजूषा पेंटिंग कला को नया आयाम देने के लिए सीसीआरटी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से सीनियर फैलोशिप के तहत बिहुला विषहरी गाथा आधारित मंजूषा लोक चित्रकला जैसी अनमोल धरोहर को अंतरराष्ट्रीय फलक पर रखने हेतु शोध करने आए मंजूषा गुरु मनोज कुमार पंडित अपनी टीम के साथ उजानी बिहुला डीह और बिहुला तालाब का निरीक्षण किए। इस दौरान इससे जुड़ी कथा को लेकर वहां के स्थानीय लोगों से बातचीत भी किए। जिसमें मोहम्मद असगर, मोहम्मद कलीम, मोहम्मद अयूब, मोहम्मद सज्जाद और मोहम्मद तजमुल से बात हुई।
उन्होंने बताया कि हम भी अपने दादा परदादा से सुनते आए हैं। यह बिहुला डीह है और यह बिहुला स्नान करती थी। हमलोग जब छोटे थे तभी यहां पर बिहुला विषहरी नाच भी होती थी और हम लोग रात भर नाच देखते थे। बगल के गांव में मीरा देवी, देवकी देवी बताती हैं और मोहम्मद अजमल का कहना है कि बचपन में यहां पर शेखचिल्ली की कहानी के साथ-साथ बिहुला की कहानी भी दादी दादा सुना करते थे साथ ही अल्लाह रुदल की कहानी सुनाते थे, लेकिन अब यहां पर कुछ नहीं है। सिर्फ मान्यताएं हैं। यह डीह भी है और बिहुला तालाब है।
इसी क्रम में पूरी टीम के साथ श्री पंडित बाजार पहुंचे जहां पर विषहरी स्थान के संरक्षक मुकेश राणा, विमल किशोर पोद्दार और नरेश साह तथा अनीस यादव से भी मिले। इन लोगों ने बताया कि हमलोग के लिए गर्व की बात है कि हमारे घर की बेटी थीं बिहुला। इसी दौरान मंजूषा कलाकार खुशी श्री और अंजिली कुमारी तथा संघ्या कुमारी से भी मुलाकात हुई। खुशी श्री मंजूषा को प्रसन्नता भाव से बनाती हैं और वह कहती है कि इस कला में भविष्य में संभावनाएं हैं। इसका भविष्य उज्जवल है और इससे भी लोग जुड़ कर स्वावलंबी हो सकते हैं। मंजूषा गुरु मनोज कुमार पंडित के साथ सहयोग करने आए पवन कुमार सागर रोशन रंजन उपस्थित थे और पंडित को भरपूर सहयोग किया और इंदु भूषण झा इस कार्य के भूरी भूरी प्रशंसा की है।
वही मुकेश राणा ने कहा है कि नवगछिया में हुनर की कोई कमी नहीं है। यहाँ मंजूषा पेंटिंग के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन होना चाहिए।