बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ ने रेप के मामले में आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि गहरे प्यार के दौरान बनाए गए सेक्सुअल रिलेशन को रेप की संज्ञा नहीं दी जा सकती है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब दोनों के बीच ‘गहरे प्रेम संबंधों’ का प्रमाण मौजूद हो, तब ‘तथ्यों की गलत व्याख्या’ के आधार पर पुरुष को रेप का आरोपी नहीं माना जा सकता है. कोर्ट एक मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें एक व्यक्ति आरोप था कि उसने एक महिला के साथ शादी का वादा कर रेप किया.
5 साल पहले का है मामला
2013 के इस केस में योगेश पालेकर जो कि एक कसिनो में शेफ का काम करते थे, पर उसी कसिनो में काम करने वाली एक महिला ने शादी का वादा करके बलात्कार करने का आरोप लगाया था. स्थानीय अदालत ने योगेश को इसके लिए 7 साल जेल की सजा सुनाने के साथ 10 हजार रुपए का जुर्माना भरने को भी कहा था, लेकिन सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आरोपी की सजा और जुर्माने को रद्द दिया.
महिला ने लगाया था रेप का आरोप
महिला ने आरोप लगाया था कि अपने घर वालों से मिलवाने के लिए योगेश उसे अपने घर ले गया, जहां उन दोनों के बीच संबंध बना. अगली सुबह योगेश ने कार से महिला को उनके घर पर छोड़ा. महिला के मुताबिक, इसके बाद भी योगेश ने उसके साथ तीन से चार बार संबंध बनाए.
हालांकि उसने महिला से यह कहते हुए शादी करने से इनकार कर दिया कि वह नीची जाति से है, जिसके बाद महिला ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज करा दी. महिला ने अपनी शिकायत में लिखा है कि वह संबंध बनाने पर राजी हुई क्योंकि पालेकर ने उससे शादी का वादा किया था. अदालत में सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि महिला ने पालेकर को आर्थिक तौर पर भी मदद करती थी.
कोर्ट ने सजा और जुर्माना दोनों हटाए
जस्टिस सी. वी. भदांग ने पाया कि दोनों के बीच सहमति केवल पालेकर के वादों पर ही नहीं बनी, बल्कि उनकी आपसी सहमति से बनी. महिला ना केवल पालेकर को आर्थिक सहायता देती थी, बल्कि गोवा में डिप्रेशन का इलाज कराने की वजह से उसने अपनी शिकायत भी वापस ले ली. कोर्ट ने इन सबके आधार पर कहा कि यह रेप नहीं बल्कि दोनों के बीच प्यार का संबंध था. कोर्ट ने 2013 के इस मामले में आदेश देते हुए आरोपी की सजा और जुर्माने को हटा दी है.