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लालू प्रसाद के वकील ने सजा सुनाने के दौरान कोर्ट से की थी यह आरजू

लालू प्रसाद के वकील ने सजा सुनाने के दौरान कोर्ट से की थी यह आरजू
नव-बिहार न्यूज एजेंसी (NNA), रांची : चारा घोटाला से जुड़े चाईबासा कोषागार से फर्जी निकासी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद सहित अन्य आरोपी सीबीआइ के न्यायाधीश एसएस प्रसाद की कोर्ट में बुधवार को पेश हुए. इस दौरान मुवक्किल को कम सजा मिले, इसको लेकर
अधिवक्ताओं ने कोर्ट के समक्ष साक्ष्य पेश कर कम सजा देने का अनुरोध किया. लालू के वकील ने न्यायालय को बताया कि इन्हें हार्ट, डायबिटिज, बीपी की बीमारी है. बाइपास सर्जरी भी हुई है. उम्र भी काफी हो गया है.
सजल चक्रवर्ती के अधिवक्ता ने कहा कि मेरे मुवक्किल रिम्स में भर्ती हैं. उनकी एंजियोग्राफी हुई है. उन्हें सिर्फ 100 एमएल लिक्विड लेना है. वजन भी 130 से 140 किलो है. डायबिटिज और डिप्रेशन भी है. इसी तरह पूर्व क्षेत्रीय पशुपालन पदाधिकारी केएन झा के संबंध में कोर्ट को बताया गया कि इनकी किडनी फेल कर गयी है. उम्र भी 83 साल हो गयी है. आंख भी सही से काम नहीं करता. सेंस भी ठीक नहीं है. इस तरह कई और अभियुक्तों के पक्ष में अधिवक्ताओं ने दलील दी.
जगन्नाथ मिश्र व बीएन शर्मा नहीं आये थे कोर्ट, गैर जमानतीय वारंट जारी
सजा के दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे डॉ जगन्नाथ मिश्रा और पूर्व जिला पशुपालन पदाधिकारी बीएन शर्मा उपस्थित नहीं हुए. मिश्रा के वकील ने कोर्ट को बताया कि उनकी पत्नी का देहांत हो गया है. इस वजह से वे कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. वहीं बीएन शर्मा के अधिवक्ता ने कोर्ट को कहा कि उन्हें ठंड लग गयी है. डॉक्टर ने उन्हें एक सप्ताह रेस्ट करने को कहा है. इस मामले में दोनों की गिरफ्तारी के लिए न्यायालय ने गैर जमानतीय वारंट जारी किया है. इसकी पुष्टि सीबीआइ के एक अधिकारी ने की है.

दोषी करार देने के साथ ही सुनायी सजा
कोर्ट रूम में जगह कम थी. चारा घोटाले के आरोपी लालू सहित 54 लोग वहां खड़े थे. इनके अलावा अधिवक्ता, मीडियाकर्मियों के अलावा अन्य लोग थे. कोर्ट रूम में जगह नहीं होने के कारण कई आरोपी हाजिरी के दौरान नाम पुकारे जाने पर बरामदे से ही अपनी मौजूदगी के लिए आवाज लगा रहे थे. फिर धीरे-धीरे सभी को कोर्ट रूम में प्रवेश कराया गया. आरोपी में जो महिलाएं थी और जो पुरुष आरोपी बीमार थे, उनके बैठने के लिए भी कोर्ट रूम में जगह दी गयी थी. जज साहब एक बार आसन पर बैठने के बाद सजा सुना कर ही उठे. कई अधिवक्ता और आरोपियों को यह उम्मीद ही नहीं थी कि दोषी करार दिये जाने के बाद उन्हें सजा भी कुछ देर बाद ही दे दी जायेगी. लेकिन न्यायाधीश ने सभी आरोपियों का पक्ष सुनने के बाद छह को रिहा करने का आदेश दिया. वहीं 50 दोषियों को हिरासत में लेने का निर्देश दिया. इसके एक-डेढ़ घंटे बाद ही सभी दोषियों को सजा भी सुना दी गयी.