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पप्‍पू के आंदोलन से डरा पारस अस्‍पताल, मृत छात्र के परिजन को लौटायेगा 8 लाख रुपये


नव-बिहार समाचार (नस), पटना : पारस अस्पताल में इलाज के नाम पर हुई घोर लापरवाही का शिकार हुए पटना यूनिवर्सिटी के गोल्‍ड मेडलिस्‍ट स्‍टूडेंट संजीत की मौत के मामले में बात काफी आगे बढ़ गई है. पिछले दो दिनों से पटना के छात्र इस मामले में आंदोलन कर रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि पटना के पारस अस्‍पताल में इलाज घोर लापरवाही हुई. जबकि इलाज के नाम पर लाखों रुपये वसूले गये थे.

छात्रों के आंदोलन को आवाज देने शुक्रवार को जन अधिकार पार्टी (लो) के राष्‍ट्रीय संरक्षक व मधेपुरा के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्‍पू यादव सड़क पर उतर आये. उन्होंने पहले पटना यूनिवर्सिटी जाकर मृत संजीत के दोस्‍तों से मिले. इसके बाद वे अचानक धरना देने को पारस अस्‍पताल पहुंच गये. काफी संख्‍या में संजीत के साथी व पार्टी कार्यकर्ता साथ थे.

अस्‍पताल आते ही पप्‍पू यादव धरना पर बैठ गये. जोर से नारेबाजी होने लगी. अस्‍पताल में हड़बड़ी पैदा हुई. पप्‍पू यादव सीधा आरोप कर रहे थे कि इलाज की लापरवाही के कारण संजीत की मौत हुई है. गड़बड़ इलाज कर अस्‍पताल प्रबंधन ने लाखों रुपये वसूले हैं. उन्‍होंने आरोप किया कि पटना का पारस और रुबन अस्‍पताल इन दिनों इलाज से अधिक लूट का अड्डा बना हुआ है. इसके कारण पब्लिक में आक्रोश है.

पप्‍पू यादव के आंदोलन की धमक इतनी तेज रही कि अस्‍पताल प्रबंधन को उनके साथ बातचीत करने के लिए विवश होना पड़ा. स्‍वयं डा. हई ने लंबी बातचीत की. फिर पप्‍पू यादव डा. हई और अस्‍पताल प्रबंधन को लेकर मीडिया से मुखातिब हुए. अपने आरोपों को उन्‍होंने फिर से दोहराया. कहा कि संजीत के ट्रीटमेंट की फाइल उन्‍होंने देखी है. यह फाइल कहीं से इस बात को प्रमाणित नहीं करती कि जब वह पारस अस्‍पताल आया था, तब किडनी और पैंक्रियाज ने काम करना बंद करना दिया था. एडमिशन रिपोर्ट में बुखार ही लिखा है.

पप्‍पू यादव ने डा. हई के सामने ही इस बात का एलान किया कि अस्‍पताल प्रबंधन इस बात को राजी हुआ है कि वह मृत संजीत के भाई को 8 लाख रुपये की वापसी करेगा . यह काम अगले कुछ दिनों में जल्‍दी से किया जाएगा. फिर पूरे मामले की चिकित्‍सकीय जांच के लिए दिल्ली से डाक्‍टरों की टीम बुलाई जाएगी, जो संजीत के इलाज को पूरा जानेगी. फिर कोई दोषी पाये गये तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.

उन्‍होंने कहा कि इस मामले को वे आगे भी देखते रहेंगे. पारस और रुबन अस्‍पताल को अपना रवैया बदलना होगा. आगे और कोई शिकायत मिली तो फिर से वे सड़क पर पीडि़त लोगों के साथ उतरेंगे.