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राष्ट्रपति का गुरुधाम आश्रम से था जुड़ाव


नव-बिहार न्यूज नेटवर्क, कहलगांव/बांका (NNN)।महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपने बिहार दौरे के दौरान भागलपुर के कहलगांव में विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अवशेषों को देखने के बाद बांका पहुंचे। यहां बौंसी में पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मंदार पर्वत से सटे गुरुधाम आश्रम पहुंचे। गुरुधाम आश्रम में राष्ट्रपति ने लगभग 20 मिनट तक पूजा- अर्चना की।
पूजा के बाद प्रणब दा गुरुधाम में बनाए गए मंच पर पहुंचे। यहां गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे, उनकी पत्नी, डीएम डॉ निलेश देवड़े और गुरुधाम ट्रस्ट के सदस्यों की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति ने मंच से अपने संबोधन के दौरान गुरुधाम प्रबंधन को धन्यवाद देते हुए कहा कि गुरुधाम के गुरु भाईयों का आजादी की लड़ाई में महत्वपर्ण योगदान रहा है जिन्हें मैं नमन करता हूं।
राष्ट्रपति गुरुधाम में पूजा करने के बाद करीब आधा घंटा तक रूके। इस दौरान राष्ट्रपति के साथ केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी, भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व केन्द्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन व अन्य नेता साथ थे। इसके बाद हेलीकॉप्टर से पटना की ओर प्रस्थान कर गए।

गुरुधाम का महत्व
बांका जिले के बौंसी स्थित महत्वपूर्ण मंदार पर्वत से सटे ही गुरुधाम आश्रम है। मूल रूप से पश्चिम बंगाल के नदियामा जिले के निवासी योग प्रवर्तक भूपेन्द्र नाथ सान्याल उर्फ योगाचार्य सान्याल बाबा ने 1927 में इस आश्रम की नींव रखी थी। वे इस आश्रम में आने से पूर्व शांति निकेतन में गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर के समकालीन थे। इस आश्रम में क्रिया योग (ब्रह्म दीक्षा) शिष्यों को दी जाती थी, यह आज भी जारी है। उन्होंने क्रिया योग की दीक्षा अपने परमगुरुदेव योगीराज श्यामाचरण लाहिड़ी से प्राप्त किया था। इस आश्रम से महामहिम राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी का जुड़ाव रहा है। इसलिए उनका आगमन हुआ।