अखबारी लाल अपना मोटा चश्मा लगाये आज का अखबार पढ़ रहा था। अचानक कह उठा - वाह रे समाचार, तेरा क्या कहना ! कहीं कुछ तो कहीं कुछ । एक ही समाचार में तीन तरह की बात।
देश के नम्बर वन कहे जाने वाले अखबार दैनिक जागरण के भागलपुर वाले संस्करण के नवगछिया जागरण पेज पर "चलती ट्रेन से कूदने से बालक की मौत" शीर्षक से छपे समाचार में शीर्षक बता रहा है बालक की मौत, लेकिन समाचार का पहला ही वाक्य कहता है कूदने से किशोर की मौत। जबकि बालक और किशोर में अंतर होता है। हकीकत तो यह है कि वह तो मैट्रिक का छात्र था।
आगे समाचार फिर उसे बालक बताते हुए लिखता है कि - चलती गाड़ी से बालक उतरना चाहा। अत्यधिक चोट लगने की वजह से घटनास्थल पर ही बालक की मौत हो गयी। जहां शीर्षक और पहले वाक्य में कूदने की बात कही गयी है। वहीं उतरना चाहा उस दौरान मौत होने की बात बताई गयी।
जबकि इसके बाद अखबार पढ़ें तो और मजा मिलेगा - अखबार लिखता है कि इस गाड़ी का नवगछिया स्टेशन पर स्टोपेज नहीं है। नवगछिया स्टेशन पर बालक उतार गया। परिजन ने शव का पोस्ट मार्टम करवाने से इंकार कर दिया। पुलिस ने बालक का शव परिजन को सौंप दिया।
अब सोचने वाली बात यह है कि जब नवगछिया स्टेशन पर गाड़ी का स्टोपेज नहीं है। वहाँ बालक उतार गया। और जब बालक उतर ही गया तो उसके कूदने की बात कैसे आ गयी। साथ ही जब उतार गया तो कूदने से मौत कैसे हो गयी? जो पुलिस ने बालक के शव को परिजनो को सौंप दिया।