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शिक्षक दिवस पर लगेगी राजनीति की पाठशाला


शिक्षक दिवस पर यूपी सहित देश भर के स्कूल राजनीति का अखाड़ा बनने जा रहे हैं। पांच सितंबर को स्कूलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के साथ बच्चों को यूपी के एसपी सरकार की उपब्धियां भी दिखाई जाएंगी। माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली ने कहा है कि हम बच्चों को बताएंगे कि एसपी ने सत्ता में आने के बाद जनहित के लिए क्या किया? इससे शिक्षकों में खासा रोष है। वे इसका विरोध करेंगे। सरकारी स्कूलों में जहां बिजली, प्रोजेक्टर और टीवी तक नहीं हैं, वहां यह सब कैसे होगा? इस पर शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि सीमित संसाधनों में जो हो सकेगा उतना किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच सितंबर को देश के सभी स्कूली बच्चों को संबोधित करेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 27 अगस्त को सभी राज्यों को निर्देश जारी कर स्कूलों में टीवी, प्रोजेक्टर आदि की व्यवस्था करने को कहा है। कई राज्यों ने प्रसारण दिखाने में असमर्थता जताई तो मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सफाई भी दी कि कार्यक्रम अनिवार्य नहीं है। फिलहाल यूपी में तो सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पीएम के भाषण का प्रसारण दिखाने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि शिक्षक संसाधनों की कमी का मुद्दा उठा रहे हैं। एनबीटी ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली से बात की तो उनका कहना है कि सीमित संसाधनों में ही प्रधानमंत्री का प्रसारण दिखाएंगे। साथ ही अपनी सरकार की नीतियां और कार्यक्रम भी दिखाए जाएंगे।

-शिक्षक दिवस पर पीएम सभी स्कूली बच्चों को संबोधित करेंगे।
-संबोधन शाम तीन से पौने पांच बजे तक होगा।
-पीएम और बच्चों के बीच संवाद का प्रसारण दूरदर्शन के सभी चैनलों, सैटकॉम, वेब कास्टिंग, यू-ट्यूब ओर आकाशवाणी के एफएम चैनलों पर किया जाएगा।

स्कूलों को निर्देश
-स्कूलों में टीवी के जरिए यह कार्यक्रम दिखाया जाए।
-यदि छात्रों की संख्या अधिक है तो अतिरिक्त टेलीविजन या प्रोजेक्टर का इस्तेमाल किया जाए।
-टीवी संचालन बाधित ने हो इसके लिए जनरेटर या इनवर्टर की व्यवस्था की जाए।
-स्कूलों में कंप्यूटर को हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़कर लाइव वेब कास्टिंग की व्यवस्था की जाए।
-प्रदेश में 12 वीं पास छात्र-छात्राओं को लैपटॉप उपलब्ध कराए गए हैं। इन छात्रों के पुराने स्कूल में इंटरनेट सेलैपटॉप को कनेक्ट कर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की जाए।
-जहां टेलीविजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, वहां रेडियो को लाउडस्पीकर से जोड़कर कार्यक्रम सुनने कीव्यवस्था की जाए।
-कार्यक्रम नियोजित किए जाएं कि अधिक से अधिक बच्चे इस कार्यक्रम में शामिल हो सकें।

स्कूलों की दिक्कत
-प्रसारण के लिए केंद्र या राज्य सरकार कोई आर्थिक मदद नहीं दे रही।
-निजी और सरकारी स्कूलों को अपने संसाधन से ही व्यवस्था करनी है।
-सरकारी स्कूलों की दिक्कत यह है कि उनके पास इस काम के लिए अलग से कोई फंड नहीं है।
-टीवी, एलसीडी स्क्रीन, कंप्यूटर और इनवर्टर या जनरेटर कहां से लाएंगे?
-किराए पर भी इतना सामान लेने में 25 हजार रुपये का खर्च आएगा।
- ज्यादातर स्कूलों का समय सुबह का है और यह कार्यक्रम शाम को रखा गया है।
-सुबह छुट्टी कर देते हैं तो शिक्षक दिवस के कार्यक्रम कैसे होंगे?
- सुबह से शाम तक बच्चों को रोकना भी मुश्किल है।


'हम स्कूलों को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देंगे। इसका विरोध किया जाएगा। शिक्षक दिवस पर इस तरहराजनीति होने से बच्चों के मन पर गलत प्रभाव पड़ेगा। हमारी प्राथमिकता में पहले शिक्षक दिवस के पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम होंगे। प्रसारण दिखाने के लिए स्कूलों के पास संसाधन भी तो नहीं हैं।'
-डॉ. आरपी मिश्र, प्रांतीय मंत्री, माध्यमिक शिक्षक संघ

'केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त संसाधन की बात तो कही नहीं गई है। जो भी खर्च आएगा, उसकीव्यवस्था तो स्कूलों को ही करनी होगी।'
-पीसी यादव, डीआईओएस लखनऊ