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जानिए : राज्यपाल की नियुक्ति प्रक्रिया, अधिकार और उन्हें मिलने वाली सुविधाएं

हाल ही में इस्तीफा देने वाले UP के राज्यपाल बीएल जोशी। पिछले दिनों उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही चर्चा शुरू हो गई कि आने वाले दिनों में कुछ और राज्यपाल इस्तीफा दे सकते हैं। कहा गया कि केंद्र सरकार ने राज्यपालों को इस्तीफा देने के लिए कहा है, लेकिन कुछ राज्यपाल इसके लिए तैयार नहीं है। केरल की राज्यपाल शीला दीक्षित, पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल और अन्य राज्यों के राज्यपाल भी अपना कार्यकाल पूरा करना चाहते हैं। 
 बीते सालों में यह परंपरा बन चुकी है कि केंद्र की सत्ता में आई नई सरकार पूववर्ती सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपालों को हटाकर नई नियुक्ति करती है। यही अब भी हो रहा है। हालांकि राज्यपालों की नियुक्ति और उन्हें हटाए जाने को लेकर विवाद भी हैं और मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है। कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि ''राज्यपाल किसी भी सरकार या पार्टी की विचारधारा से प्रभावित नहीं होते, वे राज्य में राष्ट्रपति के संवैधानिक प्रतिनिधि होते हैं, इसलिए उन्हें ऐसे नहीं हटाया जाना चाहिए।''
 देश के विभिन्न राज्यपालों के इस्तीफे और उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया आने वाले कुछ दिनों तक चलती रहेगी। राज्यपालों की भूमिका, उनकी नियुक्ति और हटाए जाने की प्रक्रिया क्या है और यह भी कि, उन्हें कौन-कौन सी संवैधानिक शक्तियां मिली हुईं हैं और उन्हें क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं।

राज्यपालों की भूमिका:
 भारत में राज्यपालों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। वह केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है और केंद्र में राष्ट्रपति की तरह राज्यों में कार्यपालिका की शक्ति उसके अंदर निहित होती है। राज्यपाल सांकेतिक तौर पर राज्य का प्रमुख होता है, जबकि वास्तविक शक्तियां मुख्यमंत्री के पास होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य की सारी कार्यकारी शक्तियां राज्यपाल के पास होती है और सभी कार्य उन्हीं के नाम से होता है। 
वास्तव में, राज्यपाल विभिन्न कार्यकारी कार्यों के लिए मात्र अपनी सहमति देता है। भारतीय संविधान के अनुसार, राज्यपाल स्वतंत्र तौर पर कोई भी बड़ा निर्णय नहीं ले सकते हैं। राज्य की कार्यकारी शक्तियां मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के अधीन होती है। 
 
एक व्यक्ति दो राज्य- 
1956 के संशोधन के अनुसार, एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल बनाया जा सकता है। राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नर का अधिकार बराबर है।
राज्यपाल की शक्तियां:
भारत के राष्ट्रपति की तरह, राज्य के राज्यपालों के पास कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की शक्तियां निहित होती हैं। राज्यपालों के पास विवेकाधीन और आपातकालीन अधिकार हैं। राष्ट्रपति और राज्यपालों के पास अधिकारों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि राज्यपाल के पास राजनयिक और सैन्य शक्ति संबंधी कोई अधिकार नहीं है।
 
कार्यकारी शक्तियां: 
- राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री सहित, मंत्रिपरिषद, एडवोकेट जनरल और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार है। मंत्रिपरिषद और एडवोकेट जनरल राज्यपाल की इच्छा पर अपने पद पर बने रह सकते हैं।
- हालांकि, राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों को राज्यपाल के द्वारा हटाया नहीं जा सकता है। राष्ट्रपति के पास राज्य लोक सेवा के सदस्यों को हटाने का अधिकार है।
- राज्यपाल हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।
- राज्यपाल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जजों की नियुक्ति करते हैं।
- अगर राज्यपाल को ऐसा लगता है कि एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व विधान सभा में नहीं है तो वे विधान सभा में उनके एक प्रतिनिधि की नॉमिनेट कर सकते हैं।
- जिस राज्य में विधान सभा और विधान परिषद है वहां राज्यपाल के पास यह अधिकार है कि वे साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारिता आंदोलन और सामाजिक कार्यों से संबंधित लोगों को विधान परिषद में नॉमिनेट 
करें।

विधायिका शक्तियां: 
राज्यपालों के पास विधायिका की शक्तियां राज्यपाल को राज्य विधानमंडल का हिस्सा माना जाता है। वह राज्य विधानसभा को संबोधित करने के साथ-साथ विधान सभा को मैसेज देता है। केंद्र में राष्ट्रपति की तरह राज्य में राज्यपाल के पास विधान सभा की बैठक बुलाने और उसे भंग या स्थगित करने का अधिकार है। हालांकि, ये सारी शक्तियां औपचारिक हैं और किसी भी निर्णय लेने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के द्वारा सलाह दी जाती है।
- राज्यपाल विधान सभा का उद्घाटन करते हैं और प्रत्येक वर्ष विधान सभा को संबोधित करते हैं। राज्यपाल अपने संबोधन में सत्ताधारी पार्टी की प्रशासनिक नीतियों को रखते हैं।
- राज्यपाल विधान सभा में वार्षिक लेखानुदान और मनी बिल (धन विधेयक) के लिए अनुमोदन करते हैं।
- राज्यपाल स्टेट फाइनेंस कमीशन का गठन करता है। उसके पास आपातकालीन स्थितियों में राज्य की आकस्मिक निधि से पैसे के निष्कासन का अधिकार होता है।
- राज्य विधान सभा के द्वारा पास सभी कानून राज्यपाल की अनुमति के बाद ही कानून का रूप लेते हैं।
- धन विधेयक न होने की स्थिति में राज्यपाल के पास यह अधिकार है कि वह विधान सभा के पास दोबारा से बिल भेजें, लेकिन अगर राज्य विधान सभा के द्वारा बिल वापस राज्यपाल के पास फिर से भेज दिया 
जाता है तो राज्यपाल को उस पर हस्ताक्षर करना पड़ता है।
- विधानसभा के स्थगन होने की स्थिति में राज्यपाल के पास यह अधिकार है कि वे अध्यादेश को पारित करें और तत्काल प्रभाव से कानून लागू हो जाता है।
- हालांकि, अध्यादेश को विधान सभा के अगले सत्र में पेश किया जाता है और यह अगले छह सप्ताह तक प्रभावशाली रहता है जब तक कि विधानसभा द्वारा पारित न हो जाए।
 
न्यायिक शक्तियां:  
राज्यपाल के पास निहित न्यायिक शक्तियां राज्यपाल के पास यह अधिकार है कि वह किसी अपराधी की सजा को माफ या कम कर सकता है। वह कानून द्वारा सजा पाए किसी अपराधी की सजा को निलंबित कर सकता है। साथ ही हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति में राष्ट्रपति संबंधित राज्य के राज्यपाल से सलाह-मशविरा करते हैं।
 
आपातकालीन शक्तियां: 
राज्यपाल के पास आपातकालीन शक्तियां विधान सभा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में राज्यपाल के पास यह अधिकार होता है कि वह मुख्यमंत्री की नियुक्ति में अपने विशेषाधिकारों का प्रयोग करे। 
राज्यपाल विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति को राज्य की स्थिति के बारे में रिपोर्ट करते हैं और राष्ट्रपति को राज्य में राष्ट्रपति शासन का अनुमोदन करते हैं। ऐसी स्थिति में राज्यपाल के पास सारी शक्तियां होती हैं और वे राज्य के कार्यों के लिए निर्देश जारी करते हैं।

राज्यपाल का वेतन
गवर्नर्स एक्ट 1982 (वेतन, भत्ते व विशेषाधिकार) के अनुसार राज्यपाल को प्रति महीने 1 लाख 10 हजार रुपए का वेतन मिलता है। इसके अलावा, राज्यपाल को कई सुविधाएं भी मिलती हैं, जो उनके कार्यकाल पूर्ण होने तक जारी रहती हैं। राज्यपाल को मिलने वाली सुविधाएं मासिक वेतन के अलावा राज्यपाल को कई अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं, जैसे चिकित्सा सुविधा, आवासीय सुविधा, यात्रा सुविधा, फोन और बिजली बिल की प्रतिपूर्ति इत्यादि। राज्यपाल और उनके परिवार को जीवन भर मुफ्त चिकित्सा सुविधा भी मिलती है। देश भर में यात्रा के लिए राज्यपाल को एक नियत यात्रा भत्ता मिलता है।