सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि मुस्लिम भी 2006 के किशोर न्याय कानून के तहत किसी बच्चे को गोद ले सकते हैं. न्यायालय ने कहा कि ऐसा इसीलिए है क्योंकि इस कानून की राह में मुस्लिम पर्सनल लॉ आड़े नहीं आता है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम् की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, "2006 के किशोर एवं बाल क़ानून(जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट) के तहत यह फैसला दिया जाता है कि इस कानून के प्रावधान सभी धर्म और समुदाय पर लागू होंगे. इसमें व्यक्तिगत धार्मिक भावनाओं की कोई दखलअंदाजी नहीं हो सकती."
अदालत ने यह व्यवस्था सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी की याचिका पर दी. हाशमी ने अदालत से बच्चा गोद लेने के लिए सभी धर्मो और समुदायों पर लागू होने वाले दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की थी.