लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को यूपीए सरकार लोकपाल बिल
प्रस्तुत करेगी, जिस पर भारतीय जनता पार्टी बिना शर्त पास करने के लिये
राजी है, सपा जैसी पार्टियों के विरोध के बाद जैसे ही बिल पास होगा, वैसे
ही रालेगण में बैठे अन्ना हजारे अपना अनशन तोड़ देंगे। ऐसा इसलिये क्योंकि
कांग्रेस के लोकपाल बिल को अब अन्ना का समर्थन हासिल हो गया है। सच पूछिए
तो यह भारत के लिये वह शुभ संकेत है, जिसे अरविंद केजरीवाल व उनकी टीम समझ
नहीं पा रही है।
शायद आपको यह मंजूर नहीं होगा कि भ्रष्टाचार के दलदल में डूबी कांग्रेस के
बिल को अन्ना का समर्थन मिलने पर उसका ढिंढोरा पीटा जाये और खुशी मनायी
जाये, लेकिन सच पूछिए तो इस बिल का पास होना देश के लिये खुशी की बात होगी,
क्योंकि यह बिल डूबते को तिनके का सहारा जैसा काम करेगा। हर व्यक्ति
जानता है कि देश में भ्रष्टाचार चरम पर है। अन्ना व उनके साथियों व अलग हो
चुके केजरीवाल ने जिस जन लोकपाल बिल की परिकल्पना की थी, कांग्रेस का
लोकपाल बिल वैसा तो नहीं, लेकिन हां यह भी नहीं कह सकते कि यह बिल बेकार
है। अन्ना ने लोकपाल को जो शक्तियां प्रदान करने की कल्पना की थी,
कांग्रेसी लोकपाल को वो शक्तियां भले न मिलें, लेकिन इससे इंकार नहीं किया
जा सकता है कि वो शक्तिशाली नहीं होगा। शासन स्तर पर न सही, लेकिन
प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में तो कारगर साबित हो सकता है न
यह लोकपाल।
आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट किया, "महासमर में कभी-कभी
ऐसा समय आता है जब पितामह भीष्म के मौन और गुरु द्रोण के सिंहासन से सहमत
हो जाने पर भी कंटकपूर्ण पथ पर चल कर पांच पांडवों को युद्ध ज़ारी रखना पड़ता
है। सत्य की राह सारी परीक्षा दिए बिना आगे नहीं जाने देती, बाबा कबीर के
अनुसार शीश दिए बिना परिणाम नहीं देती! तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार
रहे न रहे! जय हिन्द'।" उधर अरविंद केजरीवाल ने प्रेसवार्ता करके इस लोकपाल
बिल का विरोध खुलकर किया। खैर बतौर राजनीतिक पार्टी उनका विरोध करना सही
भी है, लेकिन हमें यह मालूम होना चाहिये कि हमारे देश का संविधान ऐसा है,
जिसमें जब कानून बनता है, तब उसमें संशोधन की संभावनाएं हमेशा खुली रहती
हैं।
साफ शब्दों में कहें तो अन्ना ने अपने आंदोलन से कांग्रेस सरकार को लोकपाल
बिल लाने पर मजबूर किया। अन्ना के दबाव में आकर इसी शीतकालीन सत्र में
लोकपाल बिल आयेगा और जहां तक उम्मीद है पास भी हो जायेगा। यानी देश को अपना
खुद का लोकपाल मिल जायेगा। यहां तक अन्ना ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी
निभायी। अब बारी है उनके अर्जुन अरविंद केजरीवाल की। अगर अन्ना को वाकई में
मानते हैं, और उनकी जंग को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो आम आदमी पार्टी को
इतना मजबू करें, कि वह कांग्रेसी लोकपाल में संशोधन की मांग के साथ अपनी
लड़ाई को नया रूप दें। ऐसी जंग लड़ें कि 2014 में आने वाली किसी भी सरकार
को कानून में संशोधन के लिये झुकना पड़े और आने वाला कांग्रेसी लोकपाल
अन्ना के जन लोकपाल में परिवर्तित हो जाये।