नवगछिया अनुमंडल ने 41 वसंत पूरे कर लिए हैं। अब रविवार को यह 42 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। जिसे लेकर कई लोग एक दूसरे को इसकी शुभकामनायें भी दे रहे हैं। वहीं नवगछिया में पदस्थापित 37वें अनुमंडल पदाधिकारी अखिलेश कुमार, डीसीएलआर संजय कुमार के साथ साथ नवगछिया के एसपी शेखर कुमार और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी रमाशंकर राय के अलावा जिलाधिकारी प्रेम सिंह मीना, आयुक्त मिंहाज आलम ने नवगछिया अनुमंडल वासियों को अपनी हार्दिक शुभकामनायें भी दी हैं।
नवगछिया अनुमंडल की स्थापना 24 नवम्बर 1972 को हुई थी। नवगछिया अनुमंडल का क्षेत्र पचास किलोमीटर गंगा और कोशी नदी के दोआब में बसा है। जो कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा और खगड़िया जिला का सीमावर्ती क्षेत्र से जुड़ा है।
यहां की जनता कोशी व गंगा कटाव की पीड़ा प्रत्येक वर्ष झेलने को मजबूर है। इसके बीचों बीच राष्ट्रीय उच्च पाठ संख्या 31 गुजरती है। साथ ही मुख्य रेल मार्ग का महत्वपूर्ण स्टेशन होने की वजह से नवगछिया स्टेशन को आदर्श स्टेशन का दर्जा भी प्राप्त है। जहां राजधानी एक्सप्रेस जैसी खास गाड़ियों का भी ठहराव है।
दो विधान सभा क्षेत्र ( गोपालपुर और बिहपुर) वाले इस नवगछिया अनुमंडल के अंतर्गत 7 प्रखंड, 7 अंचल, 1 नगर पंचायत है। इसके अलावा यहाँ व्यवहार न्यायालय वर्षों से कार्यरत है। जहां जिला जज का केंप कोर्ट भी लगता है। साथ ही यहाँ जेल, कोषागार, सभागार, निबंधन कार्यालय, अनुमंडलीय अस्पताल के साथ साथ महिला कालेज, कॉमर्स कालेज, संस्कृत कालेज, जीबी कालेज एवं बिद्युत ग्रीड भी है।
गंगा और कोशी नदी को यहाँ के लोग कभी अभिशाप तो कभी वरदान के रूप मे मानती है। किंतु मक्का व कलाई किसान के लिए प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ वरदान के रूप मे होती है। बाढ़ के चलते प्रत्येक वर्ष खनिज लवण्य से भरपूर नई मिट्टी आती हैं, जिसके चलते यहां की मक्का व गेंहू की खेती में भरपूर पैदावार होती है। किसानों के लिए नदी किनारे होने वाली कलाई की फसल जो बिना खर्च के होती है, वह भी बहुत महत्वपूर्ण है।
रंगरा चौक के एनएच व रेलवे किनारे तथा इस्माइलपुर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ने टमाटर की खेती ने कई किसान की तकदीर बदल दी है। उद्योग विहीन क्षेत्र होने के कारण यहाँ के हजारों मजदूर देश के अन्य राज्यों में मजदूरी कर रहे है।
व्यापार के दृष्टिकोण से भी नवगछिया वर्षों से मक्का के लिये मशहूर रहा है। जहां से कई रेल गाडियाँ भर कर मक्का कई राज्यों को जाती है। इसके अलावा कपड़ा और इलेक्ट्रानिक्स का भी यहाँ अच्छा व्यापार होता है। रेलवे का रेक प्वाइंट होने की वजह से यहाँ खाद, नमक, सीमेंट की दर्जनों रेल रेक लगती है। जिससे वाहन मालिकों और मजदूरों को अच्छी आमदनी हो जाती है।
मनोरंजन के लिए पहले यहाँ तीन तीन सिनेमा घर हुआ कराते थे। लेकिन अब मात्र एक ही सिनेमा घर शेष बचा है।
पुस्तकालय के नाम पर अमर शहीद मुंशी पुस्तकालय ही एकलौता है। जिसकी सुधि लेनेवाला कोई नजर ही नहीं आता है। इस अनुमंडल में विश्रामालय के नाम पर अब आदर्श स्टेशन पर ही एक विश्रामालय है। जो रेल यात्रियों के लिये है।
इस अनुमंडल में डाक बंगला का अब घोर अभाव हो गया है। जहां पहले दो दो डाक बंगला हुआ करते थे। एक पीडबल्यूडी विभाग का तो दूसरा जिला परिषद का। पीडबल्यूडी के डाक बंगला में तो पुलिस अधीक्षक का निवास 1992 से ही है। जबकि जिला परिषद के डाक बंगला को दो सरकारी विभाग को भाड़े में आबंटित कर दिया गया है।
अनुमंडल कार्यालय पिछले कई वर्षो से वही पुराने भवन में चल रहा है।
भूमि विवादों को लेकर यह अनुमंडल लंबे समय से अपराध ग्रस्त क्षेत्र रहा है। जिसकी वजह से यहाँ अनुमंडल पुलिस कार्यलय की स्थापना 17 दिसम्बर वर्ष 1954 को की गई थी।
इसके बावजूद बढ़ते अपराध को देखते हुए 19 अगस्त 1992 में नवगछिया को पुलिस जिला भी बनाया गया था । जो अब तक पूर्ण राजस्व जिला का दर्जा प्राप्त नहीं कर सका है। जिसकी मांग दस वर्षों से लगातार विभिन्न संगठनों द्वारा होती आ रही है।
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