दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले निजी जासूसों की व्यस्तता काफी बढ़ गयी है क्योंकि कई टिकट चाहने वालों ने अपने राजनीतिक दल के भीतर और बाहर अपने विरोधियों पर नजर रखने के लिए उनकी सेवा ले रखी है.
राजनीतिक दल पहले भी चुनावों के
दौरान अपने प्रतिद्वंद्वियों के विभिन्न ब्यौरे जानने के लिए निजी जासूसों
की सेवा लेते रहे हैं. लेकिन इस बार टिकट चाहने वालों द्वारा व्यक्तिगत
स्तर पर बड़ी संख्या में जासूसों की सेवा ली जा रही है ताकि वे पार्टी के
भीतर अपने विरोधियों की गतिविधियों पर नजर रख सकें.
जीडीएक्स डिटेक्टिव्स प्रा.लि. के प्रबंध निदेशक महेश चन्द्र शर्मा ने बताया, ‘‘चुनावों से पहले निजी जासूसी एजेंसियों की सेवा लेना अब एक स्थापित चलन बन गया है. लेकिन अपने प्रतिद्वंद्वियों को टिकट मिलने की गुंजाइश और अन्य ब्यौरों को हासिल करने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर उनकी सेवा लेना एक हालिया चलन है’’
उद्योग सू़त्रों ने बताया कि दिल्ली में करीब 150 जासूसी एजेंसियां हैं जिनमें से 13 की राजनीतिक जासूसी के मामले में विशेषज्ञता मानी जाती है. उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी 13 एजेंसियों के पास पूरा काम आ चुका है और उन्होंने अब अधिक ग्राहक लेने से मना कर दिया है’’ । शर्मा ने कहा कि लगभग सभी राजनीतिक दल शहर में निजी जासूसों की सेवा ले रहे हैं. विभिन्न राजनीतिक नेता व्यक्तिगत स्तर पर इनकी सेवा यह पता लगाने के लिए ले रहे हैं कि जो लॉबी उन्हें समर्थन दे रही है क्या वह उनके प्रतिद्वंद्वियों को भी समर्थन दे रही है.
शर्मा ने कहा, ‘‘निजी जासूसों को चुनाव क्षेत्र में उनके प्रतिद्वंद्वी के प्रभाव की जानकारी जुटाने और आपराधिक आरोप सहित उनकी पूर्व जानकारियां जुटाने का काम दिया जा रहा है’’। चार दिसंबर को होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीटों के लिए 1600 कांगेस कार्यकर्ताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है. इसी प्रकार भाजपा के करीब 1000 टिकट चाहने वाले पार्टी से मनोनीत होने की आकांक्षा कर रहे हैं.
शर्मा के अनुसार सभी राजनीतिक दलों ने कई जासूसों और उनकी एजेंसियों की सेवा ली और वे उन पर खासा धन खर्च कर रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डिटेक्टिव्स एंड इंवेस्टिगेटर्स के अध्यक्ष कुंवर विक्रम सिंह ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दल संभावित उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जांच कराने और यदि उन्हें टिकट देने से इंकार किया जाता है तो उन पर नजर रखने के लिए एजेंसियों की सेवाएं ले रहे हैं.
सिंह ने कहा कि ऐसी भी वाक्ये हैं कि पार्टी ने टिकट से नकारे गये लोगों पर नजर रखने के लिए जासूसों की सेवा ली ताकि वे अपने प्रतिद्वंद्वी की जीत के अवसरों को नुकसान न पहुंचा सकें.
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब किसी एक टिकट को पाने के लिए कई आकांक्षी हो तो इन एजेंसियों की काफी मांग रहती है. जब प्रमुख पार्टियों में संभावितों के बीच खींचतान हो तो ऐसी एजेंसियां अच्छा कारोबार करती है’’.
जीडीएक्स डिटेक्टिव्स प्रा.लि. के प्रबंध निदेशक महेश चन्द्र शर्मा ने बताया, ‘‘चुनावों से पहले निजी जासूसी एजेंसियों की सेवा लेना अब एक स्थापित चलन बन गया है. लेकिन अपने प्रतिद्वंद्वियों को टिकट मिलने की गुंजाइश और अन्य ब्यौरों को हासिल करने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर उनकी सेवा लेना एक हालिया चलन है’’
उद्योग सू़त्रों ने बताया कि दिल्ली में करीब 150 जासूसी एजेंसियां हैं जिनमें से 13 की राजनीतिक जासूसी के मामले में विशेषज्ञता मानी जाती है. उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी 13 एजेंसियों के पास पूरा काम आ चुका है और उन्होंने अब अधिक ग्राहक लेने से मना कर दिया है’’ । शर्मा ने कहा कि लगभग सभी राजनीतिक दल शहर में निजी जासूसों की सेवा ले रहे हैं. विभिन्न राजनीतिक नेता व्यक्तिगत स्तर पर इनकी सेवा यह पता लगाने के लिए ले रहे हैं कि जो लॉबी उन्हें समर्थन दे रही है क्या वह उनके प्रतिद्वंद्वियों को भी समर्थन दे रही है.
शर्मा ने कहा, ‘‘निजी जासूसों को चुनाव क्षेत्र में उनके प्रतिद्वंद्वी के प्रभाव की जानकारी जुटाने और आपराधिक आरोप सहित उनकी पूर्व जानकारियां जुटाने का काम दिया जा रहा है’’। चार दिसंबर को होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीटों के लिए 1600 कांगेस कार्यकर्ताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है. इसी प्रकार भाजपा के करीब 1000 टिकट चाहने वाले पार्टी से मनोनीत होने की आकांक्षा कर रहे हैं.
शर्मा के अनुसार सभी राजनीतिक दलों ने कई जासूसों और उनकी एजेंसियों की सेवा ली और वे उन पर खासा धन खर्च कर रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डिटेक्टिव्स एंड इंवेस्टिगेटर्स के अध्यक्ष कुंवर विक्रम सिंह ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दल संभावित उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जांच कराने और यदि उन्हें टिकट देने से इंकार किया जाता है तो उन पर नजर रखने के लिए एजेंसियों की सेवाएं ले रहे हैं.
सिंह ने कहा कि ऐसी भी वाक्ये हैं कि पार्टी ने टिकट से नकारे गये लोगों पर नजर रखने के लिए जासूसों की सेवा ली ताकि वे अपने प्रतिद्वंद्वी की जीत के अवसरों को नुकसान न पहुंचा सकें.
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब किसी एक टिकट को पाने के लिए कई आकांक्षी हो तो इन एजेंसियों की काफी मांग रहती है. जब प्रमुख पार्टियों में संभावितों के बीच खींचतान हो तो ऐसी एजेंसियां अच्छा कारोबार करती है’’.