नवगछिया के नगरह गांव में ऐतिहासिक जर्जर वेंकटेश मंदिर की मरम्मत कर विधि पूर्वक भगवान के गर्भ गृह में भगवान की चल मूर्ती बुधवार को स्थापित की गई। जहां भगवान वेंकटेश की 80 मन काले अष्ट धातु पाषण से बनी छह फुट लंबी आदमकद मूर्ती विराजमान है। अष्ट धातु की चल मूर्ती श्रीनिवास, श्री देवी और भूदेवी की है।
आज नवगछिया के नगरह गांव का यह ऐतिहासिक वेंकटेश मंदिर बिहार की धरोहर के रुप में विख्यात है। पूरे भारत में भगवान वेंकटेश की तीन ही दुर्लभ प्रतिमा बताई जाती है | इस मंदिर की स्थापना यहां के जमींदार स्वर्गीय नंद किशोर सिंह ने 1905 में की थी। उस समय से लगभग 100 वर्ष तक उनके वंशज द्वारा मंदिर का कार्य चलाया जा रहा था। वर्तमान में मंदिर कमेटी द्वारा संचालित किया जाता है। मंदिर का निर्माण दक्षिण स्थापत्य कला द्वारा किया गया था। मंदिर में पूजा भी दक्षिण विधि से की जाती है।
100 वर्ष से अधिक होने के कारण मंदिर काफी जर्जर हो गया था। इसलिये गर्भ गृह से चल मूर्ती को हटाकर मरम्मत कार्य किया गया। मरम्मत कार्य के बाद गांव में समारोह आयोजित कर भगवान वेकटेश के साथ सभी मूर्तियों का गर्भ गृह में विधि पूर्वक प्रवेश कराया गया।
समारोह में मंदिर कमेटी के अध्यक्ष कुमार अभिमन्यु सिंह, सचिव अनिल कुमार झा, कोषाध्यक्ष भोला प्रसाद सिंह, प्रभारी सहजानंद सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह, प्रवक्ता अभिमन्यु प्रसाद सिंह, प्रो. अमरजीत सिंह, गिरिधर प्रसाद सिंह, सुभाष प्रसाद सिंह, कैलाश सिंह, शशिधर मंडल और सुंदर सिंह मौजूद थे।