बिहार में जदयू के एक बाहुबली नेता अजय सिंह को बिहार की सबसे बड़ी हिंदी साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया है।
एक आपराधिक छवि वाले शख्स जिसका साहित्य और साहित्य सम्मेलन से दूर-दूर तक कभी रिश्ता नही रहा है उसे हिंदी साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बनाना नीतीश सरकार पर कई सवाल खड़े करता है।
अजय सिंह पर सीवान और छपरा में मोटरसाइकिल लूट, अपहरण, हत्या के लगभग 30 मामले दर्ज है। फिलहाल वे सभी मामलें में जमानत पर हैं
अजय सिंह को अभी एक आपराधिक मामले में पटना हाइकोर्ट ने सजा तक बरकरार रखी है जिस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका लंबित है।
दरअसल, अजय सिंह नीतीश कुमार के निकट माने जाते हैं और इनकी पत्नी नीतीश की पार्टी जेडीयू की विधायक हैं।
सीवान जिले के दरौंदा विधानसभा की पूर्व विधायक स्व. जगमातो देवी के पुत्र और वर्तमान में दरौंदा की विधायक कविता सिंह के पति अजय सिंह को उत्तर बिहार में खौफ का दूसरा नाम समझा जाता है।
जबरन घोषित हुआ अध्यक्ष
बताया जाता है कि बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के वर्तमान अध्यक्ष अनिल सुलभ का कार्यकाल समाप्त होने के दौरान निर्वाची पदाधिकारी ने निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसमें अध्यक्ष पद के लिए वर्तमान अध्यक्ष अनिल सुलभ, डा. शिववंश पांडेय, कृष्ण रंजन सिंह व अंजनी कुमार सिंह ‘अंजान’ के नाम का प्रस्ताव गया था।
इनमें से दो व्यक्तियों द्वारा चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद अनिल सुलभ और अंजनी कुमार ही चुनाव मैदान में रह गए थे पर इसी बीच अचानक बाहुबली अजय सिंह को हिन्दी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।
यह साहित्यकारों का अपमान है
इस संबंध में वरिष्ठ कथाकार संजीव हंस ने इसे बहुत ही चिंताजनक और शोक का विषय बताया है। उन्होंने इसे बिहार के विद्वानों का अपमान बताते हुए कहा कि इसका बहिष्कार होना चाहिए।
उन्होंने नीतीश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कभी बिहार साहित्यकारों का अगुआ हुआ करता था आज उसी राज्य में इसका इतना बुरा हाल है।
वहीं, पटना के वरीय पत्रकार और साहित्यकार प्रमोद सिंह के अनुसार यह चुनाव दो गुटों की आपसी लड़ाई का नतीजा है और बाहुबली अजय सिंह ने जबरन अध्यक्ष पद पर कब्जा किया है।
उनका कहना था कि इससे न सिर्फ साहित्यकारों का अपमान हुआ है बल्कि प्रदेश के चेहरे पर एक काला धब्बा भी लगा है। इसके लिए जल्द एक लड़ाई शुरू की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि साहित्य से दूर-दूर तक कभी रिश्ता नही रखने वाले बाहुबली अजय सिंह अपनी मां जगमातों देवी की मौत के बाद नीतीश कुमार से मिले और मां की मौत के बाद रिक्त हुए दरौंदा सीट पर अपने लिए जदयू का टिकट मांगा था।
मगर उनकी आपराधिक छवि को ध्यान में रख नीतीश कुमार ने तब अविवाहित अजय सिंह को किसी पढी-लिखी और 25 वर्ष पूरी कर चुकी किसी लडकी से शादी करने को कहा था जिसे टिकट दिया जा सके।
तब आनन-फानन में टिकट की खातिर पितृपक्ष में ही अजय सिंह ने कविता सिंह से विवाह किया जिन्हें दरौंदा उपचुनाव में जदयू का प्रत्याशी बनाया गया। 2011 को संपन्न हुए दरौंदा उपचुनाव में कविता सिंह 20 हजार मतों से चुनाव जीत गईं थी।