एक के
बाद एक लगातार धमाके से बोधगया थर्रा गया. आतंक की इस खौफनाक साजिश से देश
एक बार फिर दहल गया. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बोधगया के इन
धमाकों को रोका जा सकता था? क्या जानबूझकर सुरक्षा में लापरवाही बरती गई?
बुद्ध की नगरी पर आतंक की काली छाया पड़ने के पीछे जो सवाल खड़े हो रहे हैं, उनके पीछे कई बड़ी वजह हैं.
आईबी की तरफ से जारी की गई चिट्ठी में साफ-साफ लिखा है कि म्यांमार के लोगों को जमात-तौहिद-वल-जेहाद नाम के संगठन से बड़ा खतरा है. खुफिया विभाग ने चिट्ठी लिखकर देशभर में रह रहे म्यांमार के लोगों को विशेष सुरक्षा मुहैया कराने की बात कही थी.
अलर्ट की यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती. जर्मन बेकरी ब्लास्ट केस में गिरफ्तार हुए मकबूल नाम के आरोपी ने भी यह खुलासा किया था कि बोधगया का मंदिर भी आतंक के निशाने पर है. उस मकबूल के मुताबिक आतंकियों ने बोधगया की रेकी भी की थी और मंदिर का वीडियो भी बनाया था. दिल्ली पुलिस ने बिहार पुलिस को इसकी जानकारी भी दे दी थी.
बोधगया के मंदिर में 25 जून को सुरक्षा को लेकर मॉक ड्रिल की गई. 2 जुलाई को स्थानीय पुलिस और मंदिर प्रबंधन की मीटिंग हुई. इस मीटिंग में पुलिस ने अंदर की सुरक्षा को कमजोर बताया था. इसके बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया.
जाहिर है, सुरक्षा को लेकर जो सवाल खड़े हो रहे हैं, वो बेहद संजीदा हैं. जहां 'बुद्धम् शरणम् गच्छामि' की ध्वनि गूंजा करती है, वहां आज पसरा हुआ है ख़ौफ़.
बोधगया में सीरियल ब्लास्ट को लेकर अब धीरे-धीरे खुलासे हो रहे हैं. इन 9 धमाकों के पीछे इंडियन मुजाहिदीन का हाथ होने का शक जताया जा रहा है.
मिली जानकारी के मुताबिक, इंडियन मुजाहिद्दीन ने भारत में आतंकियों की लगातार गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए ये धमाके करवाए हैं. इंडियन मुजाहिद्दीन के मुखिया भटकल ने अपने सदस्यों को हिदायत दी थी कि आतंकियों का मनोबल बढ़ाने के लिए भारत में धमाके जरूरी हैं. बोधगया ब्लास्ट में अबू जिंदाल के शामिल होने का भी शक है.
बिहार के डीजीपी अभयानंद ने कहा कि बोधगया धमाकों में 2 लोग घायल हुए हैं. सुबह से अब तक कुल 3 जिंदा बम निष्क्रिय किए जा चुके हैं.
अफसोस की बात तो यह है कि पिछले कई महीनों से अलर्ट जारी किया जा रहा था. आईबी, दिल्ली पुलिस से लेकर स्थानीय पुलिस तक ने सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि इसके बावजूद सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई?
बुद्ध की नगरी पर आतंक की काली छाया पड़ने के पीछे जो सवाल खड़े हो रहे हैं, उनके पीछे कई बड़ी वजह हैं.
आईबी की तरफ से जारी की गई चिट्ठी में साफ-साफ लिखा है कि म्यांमार के लोगों को जमात-तौहिद-वल-जेहाद नाम के संगठन से बड़ा खतरा है. खुफिया विभाग ने चिट्ठी लिखकर देशभर में रह रहे म्यांमार के लोगों को विशेष सुरक्षा मुहैया कराने की बात कही थी.
अलर्ट की यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती. जर्मन बेकरी ब्लास्ट केस में गिरफ्तार हुए मकबूल नाम के आरोपी ने भी यह खुलासा किया था कि बोधगया का मंदिर भी आतंक के निशाने पर है. उस मकबूल के मुताबिक आतंकियों ने बोधगया की रेकी भी की थी और मंदिर का वीडियो भी बनाया था. दिल्ली पुलिस ने बिहार पुलिस को इसकी जानकारी भी दे दी थी.
बोधगया के मंदिर में 25 जून को सुरक्षा को लेकर मॉक ड्रिल की गई. 2 जुलाई को स्थानीय पुलिस और मंदिर प्रबंधन की मीटिंग हुई. इस मीटिंग में पुलिस ने अंदर की सुरक्षा को कमजोर बताया था. इसके बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया.
जाहिर है, सुरक्षा को लेकर जो सवाल खड़े हो रहे हैं, वो बेहद संजीदा हैं. जहां 'बुद्धम् शरणम् गच्छामि' की ध्वनि गूंजा करती है, वहां आज पसरा हुआ है ख़ौफ़.
बोधगया में सीरियल ब्लास्ट को लेकर अब धीरे-धीरे खुलासे हो रहे हैं. इन 9 धमाकों के पीछे इंडियन मुजाहिदीन का हाथ होने का शक जताया जा रहा है.
मिली जानकारी के मुताबिक, इंडियन मुजाहिद्दीन ने भारत में आतंकियों की लगातार गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए ये धमाके करवाए हैं. इंडियन मुजाहिद्दीन के मुखिया भटकल ने अपने सदस्यों को हिदायत दी थी कि आतंकियों का मनोबल बढ़ाने के लिए भारत में धमाके जरूरी हैं. बोधगया ब्लास्ट में अबू जिंदाल के शामिल होने का भी शक है.
बिहार के डीजीपी अभयानंद ने कहा कि बोधगया धमाकों में 2 लोग घायल हुए हैं. सुबह से अब तक कुल 3 जिंदा बम निष्क्रिय किए जा चुके हैं.
अफसोस की बात तो यह है कि पिछले कई महीनों से अलर्ट जारी किया जा रहा था. आईबी, दिल्ली पुलिस से लेकर स्थानीय पुलिस तक ने सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि इसके बावजूद सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई?