भारतीय पुजारी के आग्रह पर नेपाल के एक मंदिर में वही पूजा व
अनुष्ठान शुरू हो गए हैं, जो बाढ़ से तबाही के पहले उत्तराखंड के केदारनाथ
मंदिर में होते थे। नेपाल के प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव कृष्ण हरि
बास्कोटा ने
डोलेश्वर महादेव में पूजा शुरू होने की घोषणा की। इस मंदिर की स्थापना एक हजार साल पहले की गई थी। माना जाता है कि इसका संबंध महाभारत से है।
नेपाल की राजधानी से 15 किलोमीटर की दूरी पर भक्तापुर स्थित इस मंदिर की प्रबंध समिति के सदस्य भरत जंगाम ने कहा कि विशेष समारोह के साथ यहां केदारनाथ की पहली पूजा शनिवार को शुरू हुई। इसमें नेपाल सरकार का सहयोग भी प्राप्त है। केदारनाथ धाम के प्रधान पुजारी ने हमलोगों से उसी विधि विधान से पूजा फिर से शुरू करने का आग्रह किया जिस तरह से केदारनाथ में बाढ़ आने से पहले होती थी। ऐसा इस वजह से केदारनाथ मंदिर में पहले की तरह व्यवस्था बहाल होने में काफी समय लगेगा। इसलिए वह चाहते थे उनके मंदिर की पूजा यहां निर्बाध रूप से तब तक चलती रहे, जब तक उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर में फिर से पूजा शुरू नहीं हो जाए।
बास्कोटा ने कहा कि सरकार इस मंदिर को सभी जरूरी मदद और समर्थन देना जारी रखेगी। जैसे ही उनका आग्रह प्राप्त हुआ वैसे ही नेपाल सरकार ने भक्तापुर मंदिर के स्थानीय प्रबंधन समिति को निर्देश दिया कि वह मंदिर की पवित्रता बनाए रखने, वहां तक पहुंचने के लिए सड़क बेहतर करने, मंदिर को बाढ़ व भूस्खलन से बचाने व इसके प्राचीन शिल्प को संरक्षित रखने की विस्तृत योजना पेश करे। उन्होंने कहा कि धर्मशालाओं को बनाने में करीब सात करोड़ रुपये (नेपाली) लगेंगे। वर्ष 2009 के अगस्त में दोलेश्वर महादेव मंदिर को भीमा शंकर लिंग शिवाचार्य महाराज की संस्तुति पर केदरनाथ मंदिर का सिर घोषित किया गया था।
मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव ने पांडवों से बचने के लिए भैंसे का रूप धारण किया तो यहां उनका सिर का हिस्सा था।
डोलेश्वर महादेव में पूजा शुरू होने की घोषणा की। इस मंदिर की स्थापना एक हजार साल पहले की गई थी। माना जाता है कि इसका संबंध महाभारत से है।
नेपाल की राजधानी से 15 किलोमीटर की दूरी पर भक्तापुर स्थित इस मंदिर की प्रबंध समिति के सदस्य भरत जंगाम ने कहा कि विशेष समारोह के साथ यहां केदारनाथ की पहली पूजा शनिवार को शुरू हुई। इसमें नेपाल सरकार का सहयोग भी प्राप्त है। केदारनाथ धाम के प्रधान पुजारी ने हमलोगों से उसी विधि विधान से पूजा फिर से शुरू करने का आग्रह किया जिस तरह से केदारनाथ में बाढ़ आने से पहले होती थी। ऐसा इस वजह से केदारनाथ मंदिर में पहले की तरह व्यवस्था बहाल होने में काफी समय लगेगा। इसलिए वह चाहते थे उनके मंदिर की पूजा यहां निर्बाध रूप से तब तक चलती रहे, जब तक उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर में फिर से पूजा शुरू नहीं हो जाए।
बास्कोटा ने कहा कि सरकार इस मंदिर को सभी जरूरी मदद और समर्थन देना जारी रखेगी। जैसे ही उनका आग्रह प्राप्त हुआ वैसे ही नेपाल सरकार ने भक्तापुर मंदिर के स्थानीय प्रबंधन समिति को निर्देश दिया कि वह मंदिर की पवित्रता बनाए रखने, वहां तक पहुंचने के लिए सड़क बेहतर करने, मंदिर को बाढ़ व भूस्खलन से बचाने व इसके प्राचीन शिल्प को संरक्षित रखने की विस्तृत योजना पेश करे। उन्होंने कहा कि धर्मशालाओं को बनाने में करीब सात करोड़ रुपये (नेपाली) लगेंगे। वर्ष 2009 के अगस्त में दोलेश्वर महादेव मंदिर को भीमा शंकर लिंग शिवाचार्य महाराज की संस्तुति पर केदरनाथ मंदिर का सिर घोषित किया गया था।
मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव ने पांडवों से बचने के लिए भैंसे का रूप धारण किया तो यहां उनका सिर का हिस्सा था।