केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सेल्यूलर फोन कंपनियों को यह सुझाव दिया है
कि
वह अब बायोमेट्रिक सिस्टम के तहत नया नंबर अपने कस्टमर को दें. अभी तक जो नंबर आपको आसानी से उपलब्ध हो जाता था, अब उसे पाने के लिए आपको अपने फिंगर प्रिंट्स देने पड़ सकते हैं.
गृह मंत्रालय की मानें तो आसानी से नया नंबर उपलब्ध करवाने जैसी प्रक्रिया के तहत सेल्यूलर कंपनियों में एक अजीब सी होड़ शुरू हो चुकी है और इसी प्रतिस्पर्धा की वजह से वह ना तो ग्राहक की पहचान करने की तकलीफ उठाती हैं और ना ही उनके दस्तावेजों की जांच करती हैं.
वैसे गृह मंत्रालय की ओर से किसी भी सेल्यूलर कंपनी पर बायोमेट्रिक सिस्टम के तहत सिम बेचने जैसा निर्णय लागू करने पर जोर नहीं दिया गया है. इसके विपरीत इस सिस्टम की वजह से बिक्री में आने वाली कमी के मद्देनजर मंत्रालय द्वारा शेयरहोल्डरों और कंपनियों को इस सुझाव पर अमल करने के लिए पूरी तरह आजादी दी गई है.
गौर करने वाली बात यह है कि जब केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इस मुद्दे को गंभीरता से लिया गया है तो जाहिर है आने वाले कुछ समय में यह सिस्टम नहीं तो कोई ना कोई ऐसा निर्णय जरूर लिया जाएगा जो सिम विक्रेताओं और सेल्यूलर कंपनियों के साथ-साथ खरीददार की भी सहूलियतों को कम कर देगा.
कुछ लोगों को अपना मोबाइल नंबर बदलते रहने का बेहद शौक होता है. कुछ पुराने जानकारों से पीछा छुड़ाने के लिए तो कुछ शौकिया तौर पर पुराने नंबर से बोर हो जाने पर नया नंबर लेने का मन बना लेते हैं.
जब फोन खो जाता है तो पुराने नंबर को निकलवाने की झंझट से बचने के लिए कई लोग नया नंबर ही ले लेते हैं. मात्र फोटो और आइडी प्रूफ दिखाने पर ही नया नंबर मिल जाना इस काम को और भी आसान कर देता है. लेकिन हो सकता है यह सहूलियत मात्र कुछ ही दिनों की मेहमान हो.
वह अब बायोमेट्रिक सिस्टम के तहत नया नंबर अपने कस्टमर को दें. अभी तक जो नंबर आपको आसानी से उपलब्ध हो जाता था, अब उसे पाने के लिए आपको अपने फिंगर प्रिंट्स देने पड़ सकते हैं.
गृह मंत्रालय की मानें तो आसानी से नया नंबर उपलब्ध करवाने जैसी प्रक्रिया के तहत सेल्यूलर कंपनियों में एक अजीब सी होड़ शुरू हो चुकी है और इसी प्रतिस्पर्धा की वजह से वह ना तो ग्राहक की पहचान करने की तकलीफ उठाती हैं और ना ही उनके दस्तावेजों की जांच करती हैं.
वैसे गृह मंत्रालय की ओर से किसी भी सेल्यूलर कंपनी पर बायोमेट्रिक सिस्टम के तहत सिम बेचने जैसा निर्णय लागू करने पर जोर नहीं दिया गया है. इसके विपरीत इस सिस्टम की वजह से बिक्री में आने वाली कमी के मद्देनजर मंत्रालय द्वारा शेयरहोल्डरों और कंपनियों को इस सुझाव पर अमल करने के लिए पूरी तरह आजादी दी गई है.
गौर करने वाली बात यह है कि जब केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इस मुद्दे को गंभीरता से लिया गया है तो जाहिर है आने वाले कुछ समय में यह सिस्टम नहीं तो कोई ना कोई ऐसा निर्णय जरूर लिया जाएगा जो सिम विक्रेताओं और सेल्यूलर कंपनियों के साथ-साथ खरीददार की भी सहूलियतों को कम कर देगा.
कुछ लोगों को अपना मोबाइल नंबर बदलते रहने का बेहद शौक होता है. कुछ पुराने जानकारों से पीछा छुड़ाने के लिए तो कुछ शौकिया तौर पर पुराने नंबर से बोर हो जाने पर नया नंबर लेने का मन बना लेते हैं.
जब फोन खो जाता है तो पुराने नंबर को निकलवाने की झंझट से बचने के लिए कई लोग नया नंबर ही ले लेते हैं. मात्र फोटो और आइडी प्रूफ दिखाने पर ही नया नंबर मिल जाना इस काम को और भी आसान कर देता है. लेकिन हो सकता है यह सहूलियत मात्र कुछ ही दिनों की मेहमान हो.