उत्तराखंड में आसमानी आफत
टूटे 17 दिन हो गए । लेकिन आज भी राज्य सरकार स्थिति साफ नहीं कर पा रही है। लापता लोगों
के अलग-अलग आंकड़ें आ रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या उनकी है जो चारधाम की
यात्रा पर
निकले थे। यात्रियों में कितने लापता हैं राज्य सरकार ने इसका कोई ठोस आंकड़ा नहीं दिया। ऐसे में हजारों लोगों के सामने इंतजार के सिवा कोई चारा नहीं बचा।
निकले थे। यात्रियों में कितने लापता हैं राज्य सरकार ने इसका कोई ठोस आंकड़ा नहीं दिया। ऐसे में हजारों लोगों के सामने इंतजार के सिवा कोई चारा नहीं बचा।
सरकार
का कहना है कि जहां भी लोग फंसे थे अब उन सभी को निकाल लिया गया है। एक
लाख आठ हजार लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। लेकिन आईबीएन7 के स्क्रीन
पर अभी भी हजारों लोगों के नाम चमक रहे हैं। कई वापस लौट आएं। वो खुशकिस्तम
थे। लेकिन अभी भी ज्यादा संख्या उन लोगों की है जिन्हें हर जगह से निराशा
हाथ लगी है। वो आईबीएन7 के कैमरे पर लगातार अपील कर रहे हैं। एक के बाद एक।
अलग-अलग शहरों से वो उत्तराखंड सरकार से कुछ ठोस उपाय खोजने की मांग कर
रहे हैं।
लोग उम्मीद का दामन छोड़ रहे हैं। लेकिन
उत्तराखंड सरकार अभी भी आंकड़ों की बाजीगरी में लगी है। मुख्यमंत्री विजय
बहुगुणा की माने तो गुमशुदा 3068 लोग हैं। लेकिन खुद उत्तराखंड सरकार के
अफसरों की माने तो राज्य में अभी भी अलग अलग प्रदेशों के 3149 लोग लापता
हैं।
इसमें उत्तर प्रदेश के 848
बिहार के 105
दिल्ली के 147
हरियाणा के 205
पंजाब के 22
मध्यप्रदेश के 539
छत्तीसगढ़ के 18
राजस्थान के 425
गुजरात के 120
महाराष्ट्र के 176
उड़ीसा के 38
आंध्र प्रदेश के 81
पश्चिम बंगाल के 35
कर्नाटक के 13
झारखंड के 12 लोग लापता हैं।
सरकारी
बाबू इसमें 350 मिसलेनियस का भी आंकड़ा जो रहे हैं। मिसलेनियस यानि वो लोग
जो किस राज्य के हैं ये पता नहीं है। लेकिन लापता लोगों के आंकड़ों में
अभी भी स्थानीय लोगों का हिसाब किताब नहीं है। सवाल ये है कि 17 दिन बाद भी
सरकार ये बताने की स्थिति में क्यों नहीं है कि आखिर उत्तराखंड में कुल
कितने लोग लापता है। ये सवाल आईबीएन7 पर हर वो शख्स पूछ रहा है जिसके अपने
अभी तक वापस लौट कर नहीं हैं।
उत्तराखंड
में दूसरे राज्यों के लापता लोगों में उन लोगों की बड़ी संख्या है जो
केदरानाथ, रामबाड़ा या गौरीकुंड में लापता हुए हैं। यहां तबाही की तस्वीर
सबसे ज्यादा खौफनाक है। राज्य सरकार ने अब यहां शवों का अंतिम संस्कार भी
शुरू कर दिया है। सरकार का ये दावा है कि वो इन शवों से डीएनए सैंपल इकट्ठा
कर रही है। ताकि गुमशुदा लोगों के परिवारों की मदद की जा सके। लेकिन सरकार
अभी भी मौतों के महज 822 के आंकड़ें पर अड़ी हुई है। ऊपर से मौसम विभाग 5
और छह जुलाई को भारी बारिश की आशंका जता रहा है।
यानि
स्थिति एक बार फिर गंभीर हो सकती है। ऐसे में जो लापता है उनके बारे में
पुख्ता जानकारी बेहद जरूरी है। लेकिन 17 दिन बाद भी राज्य सरकार का आपदा
विभाग इस आफत में बहता नजर आ रहा है। कोई भी एक शख्स ऐसा नहीं है जिसकी
जानकारी को पुख्ता माना जा सके। लोगों के पास इंतजार करने के सिवा कोई चारा
नहीं है। आंसू बहाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। उनकी कोई सुनने वाला
नहीं है। कोई ये बताने वाला नहीं है कि आखिर कहां हैं उनके अपने। आखिर कब
खत्म होगा उनका इंतजार।