ताजा समाचार :

6/Posts/ticker posts

इंटरनेट प्रेमी हेमंत सोरेन 37 साल की उम्र में बने झारखंड के सीएम

झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दल के नेता और इंटरनेट के प्रति रूचि रखने वाले हेमंत सोरेन झारखंड के नौवें मुख्यमंत्री बन गए हैं. हेमंत ने शनिवार सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल सैयद अहमद ने
यहां राजभवन के बिरसा मंडप में आयोजित समारोह में हेमंत को मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
राज्यपाल ने हेमंत के अलावा कांग्रेस विधायक दल के नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक दल की नेता अन्नपूर्णा देवी को केबिनेट मंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस अवसर पर झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय समेत बडी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे.
कांग्रेस के सहयोग से जेएमएम ने अपनी सरकार बनाई है. हेमंत 16 जुलाई को विश्वास मत हासिल करेंगे. इससे पहले सुबह झारखंड में शनिवार सुबह राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया. राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी वक्तव्य के मुताबिक राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संविधान के अनुच्छेद 356 की धारा (2) के अंतर्गत घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए.
राजनीतिक अस्थिरता के कारण राज्य में 18 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था. हेमंत ने मंगलवार को राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश कर उन्हें समर्थन देने वाले 43 विधायकों की सूची राज्यपाल सैयद अहमद को सौंपी थी. राज्य विधानसभा में 82 विधायक हैं.
यह पहला मौका है, जब कांग्रेस राज्य सरकार में भागीदार बनी है. इससे पहले कांग्रेस ने वर्ष 2006 में मधु कोड़ा और वर्ष 2008 में शिबू सोरेन की सरकार को बाहर से समर्थन दिया था.
राज्यपाल ने हेमंत सोरेन को 20 जुलाई तक सदन में अपना बहुमत सिद्ध करने को कहा है. झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र 16 जुलाई से शुरू होगा. विपक्षी भाजपा ने हेमंत सोरेन का विरोध करने के लिए काला दिवस मनाने की घोषणा की है. हालांकि हेमंत सोरेन के लिए यह ताजपोशी चुनौतीपूर्ण है.
हेमंत सोरेन 37 वर्ष के हैं और उन्होंने बीआईटी मेसरा से स्नातक किया है. उन्हें सियासत विरासत में मिली है क्योंकि वे शिबू सोरेन के पुत्र हैं. पृथक झारखंड बनने के बाद 13 साल से भी कम समय में नौवें मंत्रिमंडल की अगुवाई कर रहे हेमंत पांचवें आदिवासी मुख्यमंत्री हैं.
झारखंड 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया था और तब से इसकी कमान चार आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी (एक बार), अर्जुन मुंडा (तीन बार), शिबू सोरेन (तीन बार) और मधु कोड़ा (एक बार) संभाल चुके हैं.  
इससे पहले राज भवन को राज्य में केंद्रीय शासन हटाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति की सहमति के बारे में आधिकारिक पत्र मिला. तत्पश्चात राज्यपाल ने सोरेन को शपथ ग्रहण समारोह के लिए बीती देर रात आमंत्रित किया.
झामुमो विधायक दल के नेता सोरेन ने कांग्रेस, राजद, छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के साथ गंठबंधन कर सरकार बनाने के लिए 9 जुलाई को दावा किया था.
उन्होंने 82 सदस्यीय विधानसभा में 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त होने का दावा करते हुए राज्यपाल को इन विधायकों के नामों की सूची सौंपी थी. समझा जाता है कि सदन में विश्वास मत हासिल करने के बाद वह मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे. राज्य में छह माह पहले राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था जिसकी अवधि 18 जुलाई को खत्म होनी थी.
मुंडा सरकार गिराने के बाद लगा था राष्ट्रपति शासन
झामुमो ने अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में भाजपा नीत सरकार से 8 जनवरी को समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद 18 जनवरी को झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था.
प्रदेश में झामुमो ने भाजपा को 11 सितंबर 2010 को समर्थन दिया था और उन दिनों राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन इस समर्थन के बाद समाप्त हो गया था. इससे पहले 24 मई 2010 को शिबू सोरेन नीत गठबंधन से भाजपा ने खुद को अलग कर दिया था क्योंकि उस साल लोकसभा में एक प्रस्ताव के दौरान झामुमो ने संप्रग के पक्ष में मतदान किया था.
भाजपा के शिबू सोरेन नीत गंठबंधन से खुद को अलग करने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. नवंबर दिसंबर 2009 में झारखंड में संपन्न विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश मिलने के बाद यह तीसरी सरकार गठित हुई है.
रामगढ़ के गांव में पैदा हुए हेमंत
10 अगस्त 1975 को रामगढ़ के दूरस्थ गांव नेमरा में शिबू सोरेन के दूसरे पुत्र हेमंत सोरेन का जन्म हुआ. उस समय पिता शिबू और मां रूपी सोरेन ने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक दिन उनका बच्चा बड़ा होकर सत्ता के शिखर पर पहुंचेगा.
उस समय तो यह भी पता नहीं था कि बिहार से अलग होकर झारखंड को राज्य का दरजा मिल सकता है. उस समय शिबू सोरेन महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में अपनी पहचान बना चुके थे. कई बार उन्हें छिप कर रहना पड़ता था. जब हेमंत का जन्म हुआ, उस समय भी शिबू घर पर नहीं थे.
पूत के पांव पालने में
कहा जाता है कि पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं. हेमंत बचपन में खेलकूद में आगे रहते थे. वह अपने ग्रुप के बच्चों को लीड करते थे. लीडरशिप का गुण बचपन में ही दिखाई देने लगा था. दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जगह लेने जा रहे हेमंत सोरेन नयी पीढ़ी के नेता बन गये हैं
शॉपिंग सेंटर में जमता था दोस्तों का मजमा
हेमंत सोरेन की आरंभिक शिक्षा बोकारो सेक्टर-4 स्थित सेंट्रल स्कूल में हुई. स्कूल में भी वह अपने ग्रुप का वह लीडर होते थे. बोकारो की सड़कों पर साइकिल की सवारी, इस सेक्टर से उस सेक्टर का चक्कर काटते उनको देखा जाता था. सेक्टर छह स्थित शॉपिंग सेंटर के नुक्कड़ में हेमंत का दोस्तों के साथ मजमा लगता था. उनके साथियों को आज भी यह बात याद है. कई साथी आज बोकारो में नहीं हैं, पर जब भी आते हैं, हेमंत से मिलना नहीं भूलते. हेमंत भी यदि बोकारो में रहते हैं तो एक गेट टू गेदर हो हो जाता है.
परिचय
जन्मतिथि : 10 अगस्त 1975
जन्मस्थान : नेमरा (रामगढ़)
पिता का नाम : शिबू सोरेन
माता का नाम : रूपी सोरेन
पत्नी का नाम : कल्पना सोरेन
संतान: दो पुत्र नितिल (4) व साहिल (10 माह)
विवाह की तिथि : 7.2.2006
पारिवारिक पृष्ठभूमि : राजनीतिक
शैक्षणिक पृष्ठभूमि
आरंभिक शिक्षा : बोकारो सेक्टर-4 स्थित सेंट्रल स्कूल से
मैट्रिक : एमजी हाइस्कूल पटना (1990)
आइएससी : 1994 (पटना विश्वविद्यालय)
इंजीनियरिंग : बीआइटी मेसरा में मेकेनिकल में दाखिला
राजनीति में कदम : 2003 में झारखंड छात्र मोरचा के अध्यक्ष बने.
राज्यसभा सदस्य : 24 जून 2009 से चार जनवरी 2010 तक
विधायक बने : 23 दिसंबर 2009 (दुमका)
किस पद पर रहे : उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री, नगर विकास, आवास, पेयजल, नागर विमानन, खान.
सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधि : ऑल इंडिया संताली फिल्म एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक हैं. तीरंदाजी, बास्केटबॉल और एथलेटिक्स को बढ़ावा दिये.
पसंदीदा लेखक : प्रेमचंद
आदर्श : शिबू सोरेन
पसंदीदा खेल : बैडमिंटन और फुटबॉल
रुचि : फोटोग्राफी, पेंटिंग्स और ड्राइविंग
विशेष रुचि : सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी लाना, भ्रष्टाचार और लालफीताशाही को समाप्त करना. आदिवासियों के विकास के लिए कार्य करना.
विदेश भ्रमण : स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग
खाली समय : अध्ययन, टहलना, नेट सर्फिग और फिल्म देखना