
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि दोनों ही पार्टियों के बीच में अब तक जो तनातनी चलती रही है, उसे लेकर पार्टी कभी ज्यादा चिंतित नहीं रही, इसकी वजह यह थी कि वह इसे जेडीयू की राज्य की राजनीतिक मजबूरी मानती रही है। लेकिन हाल के घटनाक्रम से बीजेपी के कई नेताओं को यह चिंता है कि जेडीयू उसे अधर में ही झटका न दे दे।
इसकी वजह यह मानी जा रही है कि बीजेपी लगातार यह संकेत दे रही है कि नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में लाया जा सकता है। लेकिन जेडीयू किसी भी सूरत में मोदी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। जेडीयू को लगता है कि अगर मोदी के नेतृत्व में बीजेपी के साथ हाथ मिलाया गया तो अगले चुनाव में राज्य में उसे जोरदार झटका लग सकता है और उसका फायदा आरजेडी नेता उठा सकते हैं।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि जेडीयू के लिए बीजेपी के साथ छोड़ने से उसकी सरकार को कोई खतरा भी नहीं है। 243 सदस्यों वाली विधानसभा में जेडीयू के पास बहुमत से महज छह से सात सदस्य ही कम हैं। इन सदस्यों को वह निर्दलीय और अन्य छोटे दलों की मदद से पूरा कर सकती है। बीजेपी के एक सीनियर लीडर के मुताबिक जेडीयू के इस संभावित कदम को लेकर पार्टी में वरिष्ठ नेताओं में भी चर्चा हुई है लेकिन अभी इस मसले पर कोई कदम उठाने की बजाय पार्टी स्थिति पर निगाह रखे हुए है।