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रूपम पाठक को मिली जमानत

विधायक राजकिशोर केसरी हत्याकांड
आरोपी महिला है, इसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, इसलिए जमानत दी जा सकती है.
(उा न्यायालय की टिप्पणी)
देर से ही सही पर न्यायालय ने मेरी बेटी को जमानत दे ही दिया. कोर्ट के फैसले से मैं काफी खुश हूं.
कुमुद मिर्शा (रूपम की मां)
पटना हाइकोर्ट ने पूर्णिया के भाजपा विधायक राजकिशोर केसरी की 4 जनवरी 2011 को हत्याकांड की मुख्य अभियुक्त रूपम पाठक को जमानत दे दी है. न्यायाधीश वीएन सिन्हा और शिवाजी पांडेय के खंडपीठ ने
मंगलवार को सीबीआइ के विरोध के बीच अदालत ने रूपम को पांच हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया. पूरे दो वर्ष के बाद रूपम को जमानत मिली है.
2012 में सुनायी थी सजा
सीबीआइ की विशेष न्यायालय ने अप्रैल, 2012 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. सीबीआइ के अधिवक्ता विपिन कुमार सिन्हा ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हत्या के अन्य मामलों में अभियुक्तों को छह वर्ष से पहले जमानत नहीं मिली है. रूपम पाठक इस केस की मुख्य अभियुक्त है. उसे आजीवन कारावास की सजा मिली है. अदालत चाहे तो अपील याचिका पर सुनवाई कर सकती है. दिवंगत विधायक राजकिशोर केसरी के भतीजे सुमित कुमार की ओर से अधिवक्ता अखिलेश्‍वर प्रसाद सिंह ने अदालत से अनुरोध किया कि अभियुक्त को फांसी की सजा मिलनी चाहिए और उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए.
वहीं दूसरी ओर बचाव पक्ष से राणा अवधेश प्रसाद सिंह ने अदालत से कहा कि यह मामला दुष्कर्म कांड से जुड.ा है. 2010 में रूपक पाठक ने तत्कालीन विधायक और उनके सचिव के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था. इस पर अदालत ने कहा कि वह मामला वापस ले लिया गया था. बचाव पक्ष का तर्क था कि यह राजनीतिक मामला था. इस कारण वापस लिया गया, पर 16 जुलाई, 2010 को दोबारा जांच के लिए विशेष आवेदन अदालत को दिया गया. इधर जिस खंजर से तत्कालीन विधायक राजकिशोर केसरी की हत्या की गयी थी, वह रूपम के पास से बरामद नहीं नहीं किया गया था. किसी पुलिस अधिकारी ने भी यह नहीं कहा था कि रूपम के हाथ में खंजर था. इसआधार पर रूपम को जमानत दी जानी चाहिए. सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने रूपम पाठक को जमानत देने का फैसला सुनाया. मालूम हो कि चार जनवरी, 2011 को तत्कालीन विधायक राजकिशोर केसरी की चाकू से वार कर हत्या कर दी गयी थी.