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सेहत के लिए भी शुभ दीपावली

दीपों का त्योहार दीपावली..यानी भरपूर मस्ती और तरह-तरह के लजीज भोजन-मिठाइयां। लेकिन सेहत दुरुस्त न हो तो ये नुकसानदेह भी साबित होते हैं। इसी तरह हमें रोमांचित करने वाले पटाखे धुएं और तेज आवाज के कारण नुकसान पहुंचाते हैं।
हमेशा की तरह यही सोच रहे हैं कि एक दिन कुछ ज्यादा खाना या मस्ती से क्या फर्क पड़ेगा? लेकिन छोटी सी लापरवाही
भी घातक साबित हो सकती है। पटाखों के धुएं और असंतुलित खान-पान से किसी को भी समस्या हो सकती है। पटाखों की वजह से जलने के मामले के अलावा, अस्थमा, डायबिटिज, ब्लड प्रेशर और हार्ट मरीजों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए बेहतर यही है कि आप इस दिवाली पर पहले से प्लानिंग कर लें, ताकि घर में किसी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना न करना पड़े और आपकी दिवाली यादगार बन जाए।
न करें सेहत की अनदेखी
  दिवाली की मस्ती में सेहत के बारे में सोचे बगैर सब कुछ खाते चले जाते हैं। आप यह भी भूल जाते हैं कि हाई कैलोरी फूड या अधिक शुगर वाली मिठाइयां आपको कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती हैं। इस तरह खाने से अक्सर आपकी पाचन क्रिया घीमी पड़ने लगती है, और आप अधिक थकान महसूस करते हैं। अधिक मिठाइयां और अधिक तला हुआ खाने से परहेज करें। पौष्टिक आहार, फल, दही, सलाद और अच्छी तरह से भुना हुआ खाना खा कर भी आप इस त्योहार का पूरा आनन्द उठा सकते हैं। और हां, भरपूर नींद लेना न भूलें, क्योंकि शरीर की ताजगी के लिए यह बहुत जरूरी है।
मीठा कम, ड्राइफ्रूट्स पर दें जोर
  दिवाली जैसे त्योहार पर लोग कंट्रोल नहीं कर पाते हैं और जमकर मिठाइयां खाते हैं। मीठा खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इतना ही नहीं, हम अक्सर कई अलग-अलग तरह की मिठाइयों को एक साथ खा लेते हैं, जिससे पेट दर्द, डायरिया, लूज मोशन, डिस्पेक्सिया जैसी कई तकलीफें शुरू होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए इस बार दिवाली पर आप मिठाइयां तो खाएं, लेकिन कम। मिठाइयों की जगह ज्यादा बेहतर रहेगा कि आप ड्राईफ्रूट्स खाएं। ड्राईफ्रूट्स से आपको मिठाइयों से अलग टेस्ट भी मिलेगा और यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद भी रहेंगे। अगर मीठा और ड्राईफ्रूट्स से दिल भर जाए तो थोड़ा नमकीन तो ले ही सकते हैं।
डायबिटिज है तो न कहें- कुछ मीठा हो जाए
अक्सर दिवाली पर डायबिटिज से पीड़ित हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग कुछ मीठा हो जाए के चक्कर में काफी मीठा खा लेते हैं और अपने शुगर लेवल को काफी बढ़ा लेते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि शुगर लेवल बढ़ने पर आंख, किडनी और सारे अंगों पर प्रभाव पड़ता है। मरीज डायबिटिक कोमा में भी जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि त्योहार के दौरान भी मीठे से परहेज करना चाहिए। आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने घर के डायबिटिज पीड़ित लोगों को शुगर फ्री मिठाई खिलाएं और दिवाली की मिठास को बरकरार रखें।
आंखों की न करें अनदेखी
दीपावली में पटाखों के धुएं से प्रदूषण बढ़ जाता है और इससे टॉक्सिन भी अत्यधिक बढ़ जाते हैं। इन टॉक्सिनों की वजह से आंखों पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। आंखों में जलन और उससे पानी आने की समस्याओं में भी बढ़ोतरी होती है। इसलिए आंखों का खास ध्यान रखें। बाहर से आने के बाद अपनी आंखों को साफ पानी से अच्छी तरह छींटे मारकर धो लें। अगर आंख में पटाखों से या किसी अन्य तरह से जख्म आ जाए तो खुद साफ या ठीक करने की बजाए तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें। कान पर भी खास ध्यान दें।  पटाखे की तेज आवाज से कान के पर्दे फट सकते हैं। कई बार हड्डियां भी प्रभावित हो जाती हैं। वहीं कई मामलों में कान की नसें फटने की शिकायत भी सामने आयी है, जिससे सुनने की क्षमता जा सकती है। इसलिए अगर पटाखे तेज आवाज वाले हैं तो कान बंद कर लेना चाहिए।
दिल का ख्याल रखें
ऐसा नहीं है कि दिवाली पर सिर्फ अस्थमा या डायबिटिज के मरीजों को ही एहतियात की जरूरत है। ब्लड प्रेशर, माइग्रेन और दिल के मरीजों को भी काफी ध्यान रखने की जरूरत है। पटाखों की तेज आवाज से कई बार मरीज को दिल का दौरा पड़ने और माइग्रेन शुरू होने की आशंका रहती है। ज्यादा तेल, वसा खाने और ज्यादा एक्टिविटी करने पर ब्लड प्रेशर काफी बढ़ सकता है। इसलिए दिवाली का आनन्द उठाएं, लेकिन एहतियात के साथ।  
गर्भवती महिलाएं रहें सावधान
दिवाली के मौके पर पटाखों से निकलने वाली हानिकारक कार्बन मोनोऑक्साइड गैस सांस के माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकती है। इससे बच्चे को सांस संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कई बार यह बच्चे में विकार भी पैदा कर सकती है। तेज आवाज से उनके गर्भ में पल रहे शिशु को खतरा हो सकता है। पटाखों से होने वाली तेज आवाज कई बार गर्भ में पल रहे शिशु की सुनने की क्षमता को भी प्रभावित कर देता है। इसलिए बेहतर है कि आप थोड़ी कम मस्ती करें और सजगता के साथ दिवाली मनाएं। तैयार रखें फर्स्ट एड किट
दिवाली पर कई बार दुर्घटनाएं हो ही जाती हैं। इस लिए फर्स्ट एड किट तैयार रखें।
अस्थमा रोगी रहें सावधान
दिवाली अस्थमा और एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए यह दिन मुसीबत भरा साबित हो सकता है। घर की साफ-सफाई से निकलने वाली गंदगी और धूल, पटाखों और दीए का धुआं प्रदूषण को काफी बढ़ा देता है। इसके अलावा ठंड भी दस्तक दे चुकी है। अस्थमा पीड़ितों के लिए ये सभी खतरनाक हैं। इनकी वजह से अटैक की आशंका अधिक रहती है। इन बातों का विशेष ध्यान रखें अस्थमा से पीड़ित लोग धुएं वाली जगहों पर जाने से बचें। दिवाली की रात खुली जगह में जाने के बजाए घर के अंदर कमरे में बैठना बेहतर होगा, क्योंकि दीवाली की रात हवा में काफी मात्र में धुआं और प्रदूषण बढ़ जाता है।
अगर घर के अंदर भी पटाखों का धुआं आ रहा हो तो घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दें। संभव हो तो मुंह और नाक को कपड़े से ढक लें, ताकि धुआं सांस द्वारा अन्दर न जा सके।
अगर अस्थमा का अटैक पड़ जाए तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, लेकिन उससे पहले इनहेलर का इस्तेमाल करें। 
इन बातों का रखें ध्यान
पटाखे जलाते समय सिल्क, नॉयलान या किसी अन्य कपड़े के बजाय कॉटन के कपड़े पहनना चाहिए।
भीड़भाड़ वाले स्थानों पर पटाखे न जलाएं।
कभी भी पटाखे हाथ में जलाने की कोशिश न करें।
रोशनी वाले पटाखे के प्रति अक्सर लोग लापरवाही बरतते हैं। इसलिए जरूरी है कि तेज रोशनी वाले पटाखे जलाते समय सीमित दूरी बनाए रखें।
पटाखों से किसी तरह के रासायनिक, विद्युत या रेडिएशन प्रभाव नहीं होता है। इसलिए आग बुझाने के लिए पानी का प्रयोग करना चाहिए।
पटाखा जलाने वाली जगह पर एक बाल्टी पानी जरूर रखें।
बच्चे पटाखे जला रहे हों तो आप साथ रहें।
बच्चों की करें खास निगरानी
  कोशिश करें कि बच्चे पटाखों से दूर ही रहें। उन्हें कॉटन के कपड़े पहनाएं। वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि मलिक भी मानते हैं कि बच्चों को पटाखों के लिए पूरी तरह रोकना संभव तो है नहीं, इसलिए उन्हें समझाना और उनकी निगरानी बेहद जरूरी है। सर्दी भी दस्तक दे चुकी है। ऐसे में उन्हें रेस्पिरेट्री एलर्जी, नमोनिया आदि हो सकता है। ज्यादा मीठा खाने या देर तक खुले में रहने से सर्दी-खांसी या वायरल हो सकता है। इसलिए घर में ही दिवाली मनाएं।
त्वचा से है प्यार तो रखें पूरा ख्याल
दिवाली पर सबसे ज्यादा बर्न के मामले आते हैं। गलत तरीके से पटाखे जलाने से लोग दुर्घटना के शिकार बनते हैं। इसलिए पटाखे जलाते वक्त खास एहतियात बरतें। अगर फिर भी किसी तरह शरीर का कोई अंग जल जाए तो जले हुए हिस्से को तब तक बहते हुए या ठंडे पानी में रखें, जब तक जलन पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाए। डाक्टरों के अनुसार पटाखे का बारूद त्वचा के लिए खतरनाक है जिससे संक्रमण फैला तो विकलांग भी हो सकते हैं।