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सिल्क कपड़ों पर मंजूषा कला बनाएगी नई पहचान

लोक संस्कृति मंजूषा कला का मिश्रण  भागलपुरी सिल्क कपड़ों  पर दिखेगा। नव उद्यमी कल्पना के इस प्रयोग से तैयार उत्पाद देश के कोने-कोने ही नहीं विदेशों में भी नई पहचान बनाएगा। खासकर सिंगापुर से मंजूषा कला से युक्त सिल्क कपड़े की डिमांड हुई है। कल्पना कहती हैं उन्होंने यह प्रयोग को काफी पहले ही कर लिया था। प्रयोग से तैयार हुए उत्पादों को प्रशासनिक स्तर से लगने वाले मेले में
प्रदर्शित भी करतीं थीं। हर स्तर पर इसे सराहना मिलती। अब उद्योग विभाग ने ही उनके इस प्रयोग को विस्तार दिलाया है। विभाग ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन के तहत बीस लाख रुपये का ऋण दिलाकर बूटिक खुलवाया है। वे कहती हैं कि सिल्क कपड़े पर जरी का डिमांड खासा था, इसे देखकर ही उन्होंने सिल्क कपड़ों पर जरी के रूप में मंजूषा कला को उकेरा। इस काम में उन्होंने पटना के उम्दा किस्म के काम करने वालों को रखा है। उद्योग विभाग के महाप्रबंधक ई. रामचंद्र सिंह ने कहते हैं कि इस नई व्यवस्था से न केवल भागलपुर का नाम बढ़ेगा, बल्कि बुनकरों को भी सीधा फायदा होगा।
शहर में खुला क्रिएटिव बूटिक
सिल्क कपड़ों पर मंजूषा कला के मिश्रण के लिए खंजरपुर बर गाछ चौक के निकट क्रिएटिव बुटिक के रूप में बड़े उद्योग का उद्घाटन सोमवार को उद्योग विभाग के जीएम ई. रामचंद्र सिंह ने किया। बुटिक दुकान की निदेशक कल्पना ने बताया कि उनके इस काम को उत्तर औरों के पास नहीं होगा, इसलिए इसका नाम अनुत्तरा रखा है। वैसे इसमें जरी का हर काम होगा, पर फोकस मंजूषा कला पर रहेगा।