अदालत की रिपोर्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने
कहा है कि कोर्ट रिपोर्टिंग पर उसकी ओर से कोई रोक नहीं है और न ही कोई गाइडलाइन जारी करने की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा है कि अगर केस से जुड़े किसी पक्ष को कोई आपत्ति है तो वो सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट से रिपोर्टिंग पर रोक की मांग कर सकता है लेकिन ऐसी कोई रोक स्थाई नहीं होगी। रोक लगवाने के लिए तथ्य भी देने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकारों को अपनी लक्षमण रेखा का ज्ञान होना चाहिए ताकि वे अवमानना की रेखा पार न करें।
विशेषज्ञों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मीडिया पर किसी भी तरह कोई पाबंदी नहीं लगाई है और न ही उसके लिए कोई दिशानिर्देश तय किए हैं।
कोर्ट के इस फैसले से साफ है कि किसा खास केस में ही मीडिया को किसी विशेष तथ्य की रिपोर्टिंग करने से रोका जा सकता है। उसके लिए भी पीड़ित पक्ष को कम से कम हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट में इस बात को साबित करना होगा कि इस रोक का लगना क्यों जरूरी है।

कोर्ट ने कहा है कि अगर केस से जुड़े किसी पक्ष को कोई आपत्ति है तो वो सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट से रिपोर्टिंग पर रोक की मांग कर सकता है लेकिन ऐसी कोई रोक स्थाई नहीं होगी। रोक लगवाने के लिए तथ्य भी देने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकारों को अपनी लक्षमण रेखा का ज्ञान होना चाहिए ताकि वे अवमानना की रेखा पार न करें।
विशेषज्ञों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मीडिया पर किसी भी तरह कोई पाबंदी नहीं लगाई है और न ही उसके लिए कोई दिशानिर्देश तय किए हैं।
कोर्ट के इस फैसले से साफ है कि किसा खास केस में ही मीडिया को किसी विशेष तथ्य की रिपोर्टिंग करने से रोका जा सकता है। उसके लिए भी पीड़ित पक्ष को कम से कम हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट में इस बात को साबित करना होगा कि इस रोक का लगना क्यों जरूरी है।