देश के गरीब के लिए 28 रुपए रोजाना को पर्याप्त बताने वाले योजना आयोग ने अपने दफ्तर के टॉयलेट पर 35 लाख रुपये खर्च कर दिए। यह खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ है। इस खुलासे के मुताबिक योजना भवन में दो टॉयलेट के नवीनीकरण के लिए 35 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने इस खर्च को जायज और नियमों के मुताबिक करार दिया है।
हैरानी तो यह है कि टॉयलेट में दाखिल होने के लिए जो एक्सेस कार्ड सिस्टम लगाया गया है उसकी कीमत 5 लाख रुपए है। इसके अलावा टॉयलेट के बाहर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। टॉयलेट के रेनोवेशन के नाम पर लाखों रुपये पानी की तरह बहाने की खबर आरटीआई एक्टिविस्ट को एक पत्रकार से मिली। पत्रकार से मिली जानकारी के बाद एस.सी. अग्रवाल ने याचिका दायर की।
गरीबों के लिए 28 रु और टॉयलेट पर 35 लाख रु!
इस विवाद के बाद योजना आयोग ने अपनी सफाई जारी की है। योजना आयोग के स्टेटमेंट में इसे रुटीन खर्चा बताया गया है। योजना आयोग का कहना है कि टॉयलेट की लागत सीपीडब्ल्यूडी ने तय की। उसी ने निर्माण कार्य भी करवाया। सीपीडब्ल्यूडी इस काम को करने के लिए अधिकृत सरकारी संस्था है। टॉयलेट के लिए जितना बजट तय था उसी में काम हुआ है। सभी काम नियमों के तहत हुआ है। ये टॉयलेट सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए बनाए गए हैं। ये बड़े अफसर या फिर सदस्यों के निजी इस्तेमाल के लिए नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया बिना तथ्यों के जांच के खबर बना रहा है।
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वहीं मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कहा कि सब काम दायरे में हुआ है। 35 लाख रुपए पूरे ब्लॉक के टॉयलेट में लगा है।
बीजेपी ने इस खबर पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। बीजेपी के मुताबिक सरकार की कथनी और करनी में कितना फर्क है, यह इस घटना से साफ है।
वहीं जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी लोकतंत्र में जनता के पैसों की बर्बादी शर्मनाक है।