गंगा नदी पर बना विक्रमशिला सेतु भागलपुर जिले को उत्तर बिहार के जिलों से जोड़ता है। विक्रमशिला सेतु। जो इन दिनों दुर्घटना का पर्याय बन चुका है। जिसकी वजह से कुछ लोग अब इस पुल को पार करने को वैतरणी पार करने की संज्ञा देने लगे हैं। जहां आये दिन इस विक्रमशिला सेतु पर दुर्घटना होना आम बात हो गयी है। जिसकी चिंता न तो पुल का कर वसूलने वाले विभाग व कर्मियों को दिखायी देती है और न किसी पदाधिकारी या राजनेता को। खामियाजा भुगतना पड़ रहा है पुल पार करने वाले लोगों को। जो रोजाना इसके शिकार हो रहे हैं। जिसे अधिकारी व राजनेता रोजाना नजर अंदाज करते जा रहे हैं। पुल पर दुर्घटना के कई कारण पैदा हो चुके है। जिनमें से पहला है-बालू , दूसरा-मेन हौल तथा तीसरा-जेर्किग । बालू लदी ट्रक और टै्रक्टर दिन रात इस पुल होकर गुजरती है। जिसके खुले रूप में रहने के कारण पूरे पुल पर बालू बिखरती जाती है। जो पुल के फुटपाथ के किनारे डेढ़ से दो फीट जमा हो जाती है। एक तो पुल की चौड़ाई कम है ऊपर से बालू का कब्जा। रास्ता और पतला हो जाता है। तेज रफ्तार की गाड़ी से बचने के लिए जैसे ही साइड दिया जाता है तो वाहनों को बालू में फंसकर दुर्घटना होने की पूरी संभावना बन जाती है। रेलिंग भी जगह-जगह टूटी है। जबकि ये बालू वाले वाहन पुल का कर चुकाने के बाद ही पुल पर आते हैं। जिन्हे कर लेते वक्त रोका नहीं जाता। इससे अलग पुल पर भेपर लाइट खंभा नम्बर 99 के पास बड़ा मेन हाल भी दुर्घटना को खुला आम निमंत्रण दे रहा है। वहीं तीसरा कारण है पुल पर बने सेपरेटर के जोड़ पर जर्किग। इन सौ से ज्यादा जर्किग के कारण आये दिन वाहनों का दुर्घटनाग्रस्त होना जारी है।
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