डॉ. सुबोध साह पशुओं का इलाज करते है। मंगलवार की सुबह एक बंदर अपने बाएं पैर के कटने के बाद सुबह-सुबह डॉ. साह के कक्ष में आकर बैठ गया और इशारे से अपने बांए पैर के जख्म को डॉक्टर को दिखाने लगा। जैसे वह कह रहा हो कि हमें कुछ दवा लगा दो। डॉ. साह ने देखा कि उसका जांघ काफी दूर तक कट चुका है। उन्होंने बताया कि यह दृश्य देख मैं अचंभित रह गया और डरने भी लगा। लेकिन सामने एक मरीज बैठा देख मैंने उसके पैर के जख्मों पर दवा लगाने लगा तो वह दर्द से कराहने लगा। फिर ग्रामीणों की मदद से उसे किसी तरह पकड़कर बीस टांके लगाए। जिस पर वह कुछ देर तक दर्द को बर्दाश्त किया। लेकिन खून निकलना बंद नहीं होने पर वह फिर से इशारे करने लगा। एक बंदर को ऐसा करते देख ग्रामीण भी हाय तौबा करने लगे। फिर मैंने उसके शरीर में कई तरह के सुई लगाई। जब दर्द कुछ कम हुआ और खून निकलना बंद हुआ तो वह चुपचाप जमीन पर बैठ गया। यह खबर धीरे-धीरे आसपास के गांवों में भी फैल गई और चर्चा का विषय बन गया। कई लोग मंगलवार को उस बंदर को हनुमान जी मानकर पूजने लगे। इधर ग्रामीण अर्जुन बताते है कि इलाज के बाद उसे छोड़ दिया गया, लेकिन वह वापस फिर से उसी जगह पर आ गया। ग्रामीणों को इस जख्मी बंदर पर दया आ गई और उन्हे खाने के लिए रोटी और कई तरह के फल दिए। जिसे वह बड़े चाव से खाने लगा।