कहलगांव: आनंद मार्ग पद्धति से संपन्न हुआ श्राद्ध कर्म, मृत्यु भोज रहा वर्जित
नव-बिहार समाचार, कहलगांव / कन्हैया खंडेलवाल। घोघा निवासी जलधर प्रसाद यादव जी का निधन 18 जून को हुआ तथा आनंद मार्ग पद्धति से उनका शव संस्कार 18 जून को तथा श्राद्ध कर्म 26 जून को सफल पूर्वक हुआ। आनंद मार्ग पद्धति के अनुसार श्राद्ध भोज वर्जनीय है। आनंद मार्ग एक सामाजिक एवं अध्यात्मिक संगठन है आनंद मार्ग एक संपूर्ण जीवन दर्शन है इस हेतु जीव जगत के प्रत्येक पहलू को प्रलक्षित करते हुए यह संगठन वर्तमान में विश्व के 220 देशों में अपनी सेवा और त्याग के माध्यम से कार्यरत है। मनुष्य का जीवन त्रिस्तरीय है - शारीरिक मानसिक तथा आध्यात्मिक। आनंद मार्ग मनुष्य के शरीर सुरक्षा हेतु भोजन वस्त्र शिक्षा चिकित्सा और आवास जो न्यूनतम आवश्यकता है इसकी पूर्ति के लिए प्रगतिशील उपयोग तत्व दर्शन को परिभाषित कर सारे समस्या को हल करता है मनुष्य के मानसिक शांति हेतु आसन और प्राणायाम के माध्यम से मनुष्य को शांत और पवित्र करता है। अध्यात्मिक दृष्टिकोण से चरण और परम लक्ष्य हेतु आत्मा के मुक्ति और मोक्ष के लिए अष्टांग योग साधना और राजाधिराज योग की साधना सिखाता है चुकी आनंद मार्ग जीवन के सभी स्तरों की ओर अपनी निगाह रखता है इसलिए मनुष्य के जीवन में जो भी पड़ाव आती है जैसे -जन्म नामकरण अन्नप्राशन वृक्ष रोपण गृह प्रवेश विवाह शव सत्कार और इस श्राद्ध कर्म को बाहरी आडंबर से मुक्त बड़े ही सुव्यवस्थित और सुनियोजित तरीके से संपर्क करने हेतु आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्री प्रभात रंजन सरकार जी ने आनंद मार्ग चर्याचर्य दीया है जिससे आनंद मार्ग का समाजशास्त्र भी कहा जाता है आज इसी समाज शास्त्र के अनुसार घोघा निवासी श्री जलधर प्रसाद यादव जी के देहासन के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार और श्राद्ध अनुष्ठान का कार्यक्रम संपन्न हुआ आनंद मार्ग के अनुसार श्राद्ध कर्म से विदेही आत्मा का कोई लेना देना नहीं है। यह केवल श्राद्धकर्ता और उस परिवार के शांति के लिए किया जाता है। इसलिए आनंद मार्ग समाज को यह दिशा दिखाता है बाहरी आडंबर ओं में कुछ नहीं रखा वह केवल और केवल बाहरी दिखावा है जो कि समाज को गर्त की ओर ढकेल रहा है। आज संपूर्ण विश्व इस आडंबर से ग्रसित होकर पूरी तरह बर्बाद हो रहा है। आनंद मार्ग सभी सुधि जनों से आग्रह करता है कि समाज को सही दिशा एवं दशा की ओर ले जाना है तो आनंद मार्ग को जाने और समझे तथा अपने जीवन में उतार कर अपने समाज एवं संपूर्ण विश्व का कल्याण होने में अपने जीवन को सार्थक बनाएं। इस कार्यक्रम के पुरोहित आनन्द मार्ग भागलपुर के गृह आचार्य अनुपलाल जी ने किया। अनेकों अनेक आनंद मार्गी दूरस्थ क्षेत्रों से आकर इस कार्यकर्म को सफल किया। जिसमे आनंद मार्ग प्रचारक संघ के सेंट्रल धर्म प्रचार सेक्रेटरी आचार्य प्रणवेशानंद अवधूत वरिष्ठ आचार्य आचार्य रघुरामानंद अवधूत आचार्य विश्वरूपानंद अवधूत भागलपुर डायोसेस के डायोसेस सेक्रेटरी आचार्या हर्षमयानंद अवधूत आचार्या कृपानन्द अवधूत ब्रह्मचारिनी लतिका आचार्या ब्रह्मचारिणी रिद्धि आचार्या तथा आनंद मार्ग के गृह आचार्य अचार्य रंधीर देव अंगिका समाज के सचिव सकलदेव सिंह अंगिका समाज के केंद्रीय आंदोलन सचिव अजय कुमार देव तथा भागलपुर के कुछ डॉक्टरों ने भी हिस्सा लिया जिसमे डा. पंकज कुमार यादव (ऑर्थोपेडिक) डा. प्रवीण कुमार कौशल (कार्डियक जनरल फिजिशियन) डा. अनु कुमारी (स्त्री रोग विशेषज्ञ) मौजूद थे।