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द्रोपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को करेंगी शपथ ग्रहण

द्रोपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को करेंगी शपथ ग्रहण
राजेश कानोडिया, नवगछिया (भागलपुर)। ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को जन्म लेने वाली तथा झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। गुरुवार को हुई वोटों की गिनती के तीसरे दौर में ही उन्होंने जीत के लिए जरूरी आंकड़े को पार कर लिया। अब 25 जुलाई को उनका शपथ ग्रहण होगा। शपथ ग्रहण के साथ ही देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के नाम एक या दो नहीं बल्कि छह बड़े रिकॉर्ड भी दर्ज होंगे।
 
खास जानकारी
द्रौपदी का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदपोसी गांव में 20 जून 1958 को हुआ था। द्रौपदी संथाल आदिवासी जातीय समूह से संबंध रखती हैं। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू एक किसान थे। द्रौपदी के दो भाई हैं। भगत टुडू और सरैनी टुडू। 

द्रौपदी की शादी श्यामाचरण मुर्मू से हुई। उनसे दो बेटे और दो बेटी हुई। साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई। द्रौपदी का बचपन बेहद अभावों और गरीबी में बीता था। लेकिन अपनी स्थिति को उन्होंने अपनी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी विमेंस कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। बेटी को पढ़ाने के लिए द्रौपदी मुर्मू शिक्षक बन गईं। 

उन्होंने 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद 1994 से 1997 तक उन्होंने ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के रूप में कार्य किया था।

1997 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा। ओडिशा के राइरांगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। इसके बाद वह जिला परिषद की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं। वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ीं। राइरांगपुर विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें बीजद और भाजपा गठबंधन वाली सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया। 

2002 में मुर्मू को ओडिशा सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। 2006 में उन्हें भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2009 में वह राइरांगपुर विधानसभा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद 2009 में वह लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, लेकिन जीत नहीं पाईं। 2015 में द्रौपदी को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। 2021 तक उन्होंने राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।