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सतर्कता, जागरूकता और सावधानी के बल पर ही कोरोना से निजात है संभव - प्रतिकुलपति



कोविड-19 जैसी महामारी से बचाव के लिए जरूरी है पर्यावरण संरक्षण- प्रो. पाठक


नवगछिया, भागलपुर। कोविड-19 जैसी महामारी से बचाव के लिए जरूरी है पर्यावरण संरक्षण। तभी भारत सहित विश्व स्तर पर इस तरह की महामारी के प्रभाव से बचा जा सकेगा। आज विश्व के 217 देशों में इस महामारी का प्रसार हो चुका है। विभिन्न देशों और राज्यों में इसके संक्रमण की दरों में अंतर भी है। जहां पर्यावरण संरक्षण पर लोगों का ध्यान है, वहां इसके संक्रमण की दर काफी कम है। यह अलग बात है कि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह संक्रमण चीन से फैलाया गया है। इसमें कई तरह की भ्रांतियां हैं। इस तरह के वायरस की पहले भी कई रूपों में पहचान हुई थी। इस तरह के संक्रमण से बचाव के लिए विश्व को लोक डाउन करना पड़ा। जिससे बेरोजगारी काफी ज्यादा बढ़ गई, मानवीय संकट उत्पन्न हो गया। 6 करोड़ लोग अति निर्धनता में आ गए। शिक्षा पर बुरा असर पड़ा, अभिभावकों पर दोहरी मार पड़ी। सभी क्षेत्रों में वैश्विक विकास दर में भारी गिरावट आ गई। संपूर्ण अर्थव्यवस्था में गिरावट आ गई। जिसकी वजह से भविष्य में खाद्य सुरक्षा का सामना भी करना पड़ सकता है। वैक्सीन को लेकर राजनीति हुई, सामाजिक आर्थिक इत्यादि सभी तरह की गतिविधियां बंद हो गई।
 इन सबसे अलग सकारात्मक प्रभाव भी यह रहा की जल और वायु तथा ध्वनि प्रदूषण काफी घटा है। ओजोन परत के क्षरण में कमी आई है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण के तहत हर प्राणी और वृक्ष एवं जल का संरक्षण आवश्यक है। तभी कोविड-19 जैसी महामारी से बचाव संभव है। इसलिए सभ्यता और संस्कृति को बचाए रखने के लिए एक पौधा अवश्य लगाएं।

ये बातें विश्व पर्यावरण दिवस पर तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की सम्बद्ध इकाई नवगछिया स्थित बीएलएस कॉमर्स कॉलेज के भूगोल विभाग द्वारा "विषाणु जन्य महामारी आपदा कोविड-19 का विभिन्न आयामों पर प्रभाव" विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए ए एन मिश्रा पीजी कॉलेज छपरा के फार्मर प्रिंसिपल डॉ गणेश कुमार पाठक ने कही। वही इस राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य अतिथि प्रताप विश्वविद्यालय राजस्थान के पूर्व कुलपति डॉ उग्र मोहन झा ने इस कार्यक्रम को बनारसी लाल सराफ कॉमर्स कॉलेज का एक ऐतिहासिक कदम बताया तथा आयोजन समिति को धन्यवाद देते हुए कहा कि कोविड-19 से बचाव को लेकर लगाए गए लॉक डाउन का प्रबंधन सही नहीं है। सिर्फ जान बचाने को लेकर नई पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी पर दुष्परिणाम पड़ रहा है। देश के दुश्मन दवा की कालाबाजारी कर रहे हैं। ऑक्सीजन के नाम पर और जान बचाने के नाम पर काली कमाई कर रहे हैं। सरकार जिम्मेवारी से भाग रही है। ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए। शिक्षा को लेकर बच्चों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है, ऑनलाइन से सारा विकास संभव नहीं है। उन्होंने आम लोगों से अनुरोध भी किया कि अफवाहों पर नहीं जाएं, वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के सुझावों को मानें। कोविड-19 के प्रभाव से बचने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

इस दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का उद्घाटन भाषण देते हुए तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रति- कुलपति (प्रोवीसी) प्रोफेसर रमेश कुमार ने कोरोना के शुरुआत से लेकर वर्तमान परिस्थिति तक विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि वैक्सीन लेने के बाद भी देश के काफी चिकित्सकों और विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रोफेसरों का निधन होना चिंतनीय है। प्रतिकुलपति ने कहा कि कोरोना महामारी का प्रसार दुनिया के प्रायः सभी देशों में हो चुका है जो अत्यंत ही चिंताजनक बात है। उन्होंने कहा कि सर्तकता और सावधानी से ही कोरोना से बचा जा सकता है। कोरोना का चेन तोड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क पहनना जरूरी है। हमें हौसले और जज्बे के साथ कोरोना को भगाना है। सभी लोग वैक्सीनेशन जरूर कराएं। प्रोवीसी ने कहा कि इस तरह के वेबिनार के आयोजन से छात्रों और आम लोगों में जागरूकता उत्पन्न होती है। उन्होंने इस प्रयास के लिए महाविद्यालय परिवार को बधाई दी।
     राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन सचिव प्रोफेसर रणवीर कुमार यादव ने वेबिनार के विषय वस्तु से अवगत कराया।
वहीं वेबीनार के अध्यक्ष तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य एवं बीएलएस कॉलेज के सचिव मृत्युंजय सिंह गंगा ने राष्ट्रीय स्तर के सभी वक्ताओं का स्वागत किया। डॉ गंगा ने कहा कि नेशनल वेबिनार का थीम काफी प्रासंगिक और समीचीन है। मौजूदा समय में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय द्वारा किया जाना स्वागतयोग्य और महत्वपूर्ण कदम है।
       आज केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। आज कोविड-19 के दुष्प्रभाव से हम सभी पीड़ित हैं।
आपदा के इस घड़ी में हमलोगों को सतर्कता और विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। यह वेबिनार कोविड-19 से लड़ाई में जागरूकता का काम करेगा। कोविड-19 ने लोगों के स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षणिक आदि क्षेत्रों को ज्यादा प्रभावित किया है।
इस दौरान तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रमुख प्रोफेसर संजय कुमार झा ने कोविड-19 के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव पर चर्चा करते हुए पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। जबकि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से भूगोल विभाग के वरीय प्रोफेसर विनय कुमार राय ने भारतीय संस्कृति और पर्यावरण पर कोविड 19 के प्रभाव पर विस्तार से प्रकाश डाला।  वही होली क्रॉस वीमेंस कॉलेज अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) की भूगोल विभाग अध्यक्ष डॉ सीमा मिश्रा ने कोविड-19 के राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था पर पड़े प्रभाव की चर्चा की। पीजी कॉलेज रुद्रप्रयाग के भूगोल के प्रोफेसर डॉ अखिलेश्वर कुमार द्विवेदी ने आर्थिक व्यवस्था पर इसके प्रभाव पर चर्चा की तथा जेजे कॉलेज गया के भूगोल विभाग अध्यक्ष डॉ वासुदेव प्रसाद ने कोविड-19 के शैक्षणिक व्यवस्था पर पड़े प्रभाव की चर्चा की ।इस वेबीनार का संचालन जहां बीएलएस कॉलेज के प्रोफेसर रामानंद सिंह ने किया। 
 वहीं कार्यक्रम के अंत में कॉलेज के प्रो अमरजीत सिंह ने सबों के प्रतिधन्यवाद ज्ञापित किया। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार के पहले दिन आयोजन समिति के सभी सदस्य, कॉलेज के सभी शिक्षक एवं छात्रों सहित देशभर के 250 से भी अधिक लोग शामिल हुए।
कार्यक्रम के सफल संयोजन में वेबिनार कॉर्डिनेटर व टीएमबीयू के जनसंपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) डॉ दीपक कुमार दिनकर और आयोजन सचिव भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रणवीर कुमार यादव की महती भूमिका रही।
उक्त आशय की जानकारी वेबिनार के मीडिया प्रभारी राजेश कनोडिया ने दी। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का समापन रविवार को होगा।