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कई पदाधिकारी की वीआईपी लाइट उतरी, कई की नहीं

नव-बिहार न्यूज नेटवर्क, भागलपुर/ सुपौल: देश भर में एक मई से लाल बत्ती और नीली बत्ती के इस्तेमाल पर रोक लगाने के पीछे मोदी सरकार का मकसद वीआईपी कल्चर पर लगाम कसना था. लेकिन पदाधिकारी हैं कि अपने इस ठाठ को छोड़ने तैयार ही नहीं हैं.

लाल बत्ती और नीली बत्ती पर रोक सोमवार एक मई से पूरी तरह लागू हो गई है. फिर भी कई पदाधिकारियों का वीआईपी सिम्बल नीली बत्ती के प्रति मोह अभी तक जा नहीं रहा है. इसी कड़ी में मंगलवार 2 मई को जब मिडिया का दल तहकीकात करने सुपौल जिला समाहरणालय पहुंचा तो जिला पदाधिकारी की गाड़ी से नीली बत्ती हटी हुई थी. उप विकास आयुक्त की गाड़ी से भी नीली बत्ती हटी हुई थी. वहीं अपर समाहर्ता महोदय की गाड़ी में नीली बत्ती लगी हुई थी.

इधर भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल में भी अनुमंडल पदाधिकारी की गाड़ी से नीली बत्ती उतरी हुई दिखी. जबकि उसी गाडी के बगल में खड़ी एक पदाधिकारी की गाड़ी में नीली बत्ती लगी नजर आ रही थी. जिसके ड्राइवर ने कहा कि कोई लिखित आदेश नहीं मिला है, आदेश मिलते ही हटा लिया जायेगा।

 


बिहार में भी लग गई है लाल-नीली बत्ती पर रोक

सूबे बिहार की सड़कों से लाल और नीली बत्ती लगे वाहनों की आखिरकार विदाई हो गई। राज्य सरकार ने मंगलवार को वीआईपी बत्तियों पर रोक लगा दी। केन्द्र के निर्देश पर राज्य परिवहन आयुक्त ने इस संबंध में आदेश जारी किया। हालांकि एंबुलेंस और इमरजेंसी ड्यूटी में लगी गाड़ियों पर नीली बत्ती लगाने की अनुमति होगी। एंबुलेंस पर बैगनी शीशा लगे ब्लिंकर लगाया जा सकेगा, जबकि आपात ड्यूटी और आपदा प्रबंधन ड्यूटी में लगाए गए वाहनों पर नीली बत्ती लगाई जा सकेगी। वीआईपी कल्चर को समाप्त करने के लिए केन्द्र सरकार ने 19 अप्रैल को लाल और नीली बत्ती के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। हवाई अड्‌डा और बंदरगाह के परिसर के अंदर चलने वाली गाड़ियों पर टॉप लाइट लगाने की इजाजत दी गई है।