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खास खबर: पटना के आकाश ने सिंगापुर में छुआ 'आकाश'

पटना: राजधानी पटना के इंदिरा नगर के रहने वाले आकाश राज ने इंटरनेशनल ट्रॉपिकल आर्किटेक्चर डिजाइन कम्पटीशन में स्पेशल मेंशन अवार्ड जीतने का गौरव हासिल किया है. आकाश द्वारा बनाए डिजाइन द पेनोरोमिक हैबिटेट (विहंगम निवास स्थान ) को यह अवार्ड मिला है. आकाश ने  प्रतियोगिता में 15 देशों के 131 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ यह अवार्ड जीतकर सचमुच अपने नाम को चरितार्थ करते हुए आकाश को छू लिया.

  सिंगापुर में संपन्न  यह प्रतियोगिता हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के लिए आयोजित की जाती है. आकाश फ़िलहाल एनआईटी तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) में  आर्किटेक्चर कि पढ़ाई कर रहे है. डिजाइन की इंट्री ऑनलाइन कि गयी थी. रिजल्ट भी ऑनलाइन ही घोषित किया गया. आकाश ने अपनी क्लासमेट जेसुल सेलिन के साथ मिलकर यह डिजाइन तैयार किया था.

300 लोगों के रहने के लिए बनाए गए इस बिल्डिंग का यह डिजाइन काफी आकर्षक है. डिजाइन सेलेक्ट होने के बाद आकाश एंड टीम को सिंगापुर बुलाता गया. सिंगापुर के होम अफेयर्स एंड नेशनल डेवलपमेंट मिनिस्टर डेसमांड ली ने उन्हें अवार्ड प्रदान किया. ली ने बताया कि अभी जो बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनाई जा रही है, उसके निर्माण में फ्यूचर का ख्याल नही रखा जा रहा है. हमारा कॉन्सेप्ट था कि  बिल्डिंग  इस तरह से बनायी जाए कि सभी रूम में हवा, पानी, रोशनी एक समान रूप से पहुंचे. साथ ही उसमें बागवानी भी की जा सके. इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी कम हो. जिससे हमें ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से निबटने में मदद मिल सके.

 आकाश बहुत ही साधारण  परिवार से आते है. उनके पिता अमरनाथ राज एक पहले एक प्राइवेट जॉब करते थे. फिलहाल वे पतंजलि प्रोडक्ट की एक छोटी सी दुकान म्यूजियम के सामने चला रहे हैं. उन्होंने लाइव सिटी से बात करते हुए  बताया  कि आकाश ने बचपन की पढाई आदर्श विकास मंदिर से की है. वह बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहता था. 2012 में इंटर  करने के बाद बीटेक करने के लिए  एनआईटी तिरुचिरापल्ली, (तमिलनाडु) चला गया. उनकी एक बेटी चार्टर्ड एकाउंटेसी (CA) की फाइनल इयर में हैं. दूसरी बेटी भी मेडिकल क्वालीफाई कर चुकी थी परंतु संभवतः सीट कम रहने के कारण काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया.

 आकाश की सिक्षा जुलाई में पूरी हो जाएगी. लेकिन अभी से ही उसे जापान वगैरह कई देशों तथा बेंगलुरू से अपने यहां काम करने के लिए बुलावा आ चुका है. लेकिन आकाश की इच्छा विदेश न जाकर अपने राज्य व देश की सेवा करने की है.