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दूसरे एटीएम से पैसे निकालने पर लगेगा चार्ज, आरबीआई और सरकार ने नहीं दी राहत

नईदिल्ली। नोटबंदी को भले ही दो महीने होने वाले हो लेकिन इसका असर अभी तक लोगों पर पड़ रहा है। लोग इस बात से नाराज है कि एटीएम यूज के चार्ज को सरकार ने हटाया नहीं है। साथ ही डेबिट कार्ड की ट्रांजेक्‍शन फीस को भी खत्‍म नहीं किया गया है। लोगों का कहना है कि वे उम्‍मीद कर रहे थे एटीएम ट्रांजेक्‍शन चार्ज माफी 31 दिसंबर के बाद भी जारी रहेगी। लेकिन आरबीआई इस मामले में खामोश है जिसके चलते बैंकों ने चार्ज लेना शुरू कर दिया है। ट्रांजेक्‍शन प्रोसेसिंग सर्विस देने वाली कंपनी एफएसएस के अध्‍यक्ष वी बालासुब्रमण्‍यम ने टाइम्‍स ऑफ इंडिया को बताया कि पहले पांच ट्रांजेक्‍शन फ्री हैं। इसके बाद बैंक और कार्ड कैटेगरी पर निर्भर करता है कि वे चार्ज करते हैं कि नहीं। बैंक चार्ज को लेकर सामान्‍य तौर पर कस्‍टमर से व्‍यक्तिगत तौर पर चार्ज लेता है। नकदी आसानी से उपलब्‍ध नहीं है। केवल 20 प्रतिशत एटीएम ही काम कर रहे हैं।

नोटबंदी से पहले एसबीआई, पीएनबी और आईसीआईसीआई बैंक प्रति ट्रांजेक्‍शन के लिए 15 रुपये चार्ज करते थे। क्‍योंकि उनका एटीएम नेटवर्क काफी बड़ा है। वहीं बाकी बैंक 20 रुपये प्रति ट्रांजेक्‍शन लेते थे। वहीं सरकार ने नोटबंदी के दौरान मर्चेंट डिस्‍काउंट रेट(एमडीआर) को बंद कर दिया था लेकिन कई जगहों पर उपभोक्‍ताओं को इसका फायदा नहीं मिला। 31 दिसंबर तक लगभग सभी बैंकों ने डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड पर ट्रांजेक्‍शन चार्ज बंद कर दिया था। लेकिन कई लोगों का कहना था कि ज्‍वैलर्स और कपड़ों के शोरूम में उनसे चार्ज लिया। रिजर्व बैंक ने नए साल में कार्ड से एक हजार रुपये तक की खरीदारी पर 0.5 प्रतिशत और 2000 रुपये की खरीद पर 0.25 प्रतिशत की दर तय की है।

इधर, दो जनवरी को सरकार ने स्पष्ट किया है कि होटल और रेस्तरां में सेवा शुल्क देना अनिवार्य नहीं है। यदि ग्राहक सेवा से संतुष्ट नहीं है तो वह इसे हटवा सकता है। केन्द्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि होटल और रेस्तराओं में इस बारे में सूचना पट के जरिये स्पष्ट तौर पर सूचना दी गई हो। केन्द्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा है, ‘इस बारे में ग्राहकों से कई शिकायतें मिलीं हैं कि होटल और रेस्तरां ‘टिप’ के बदले 5 से 20 प्रतिशत के दायरे में सेवा शुल्क ले रहे हैं। इन होटल एवं रेस्तरांओं में सेवा चाहे कैसी भी हो ग्राहकों को इसका भुगतान करना पड़ता है।’