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नवगछिया सहित बिहार में भीषण बाढ़ का खतरा, पलायन शुरू


नेपाल में भूस्खलन के कारण कोसी नदी से भारी तबाही का खतरा पैदा हो गया है। रविवार तक कभी भी कोसी में 10-11 मीटर की ऊंचाई वाला पानी का रेला आ सकता है। यह इलाका सन 2008 में भी कोसी में आई बाढ़ से भारी तबाही झेल चुका है। खतरे को देखते हुए सीमावर्ती नौ जिलों (सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, खगड़िया, मधुबनी, कटिहार और भागलपुर के नवगछिया) में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। कोसी तटबंध के भीतर की आबादी को सामान और पशुओं के साथ ऊंचे और सुरक्षित ठिकानों पर जाने को कहा गया है। इसे देखते हुए पलायन शुरू भी हो गया है। 
केंद्र ने एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा नियंत्रण बल) की 15 टीम बिहार के लिए रवाना कर दी हैं। दिल्ली के अलावा कोलकाता से भी एनडीआरएफ की और टीम बुलाई गई हैं।
खतरे को देखते हुए नई दिल्ली में केंद्र और पटना में बिहार सरकार सक्रिय हो गई है। कैबिनेट सचिव अजित सेठ ने बैठक करके हालात का जायजा लिया और आपदा प्रबंधन तंत्र को सक्रिय कर दिया है। बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह के साथ वार्ता करके बचाव एवं राहत की रूपरेखा तैयार की गई है। केंद्र ने राज्य सरकार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। केंद्र सरकार पहाड़ टूटने से पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए नेपाल सरकार की भी मदद कर रही है। विशेषज्ञों का एक दल काठमांडू रवाना कर दिया गया है, जो वहां पर नदी की धारा में गिरे पहाड़ के टुकड़े को विस्फोट से तोड़ने में मदद करेगा। सनकोसी नदी में पानी का बहाव रुकने से नेपाल स्थित डैम में 20 से 25 लाख क्यूसेक पानी एकत्रित होने की आशंका है। इसके चलते डैम टूटने का खतरे से नेपाल भी संकट से दो-चार है।
बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुसार आपदा प्रबंधन विभाग ने संबंधित जिलाधिकारियों को तत्काल राहत शिविर स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। जिलाधिकारियों को पेयजल, भोजन, शौच की व्यवस्था, दवा, पशु चारा आदि की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है।
खतरे की मूल वजह :
नेपाल की राजधानी काठमांडू से करीब सौ किलोमीटर उत्तर-पूर्व में सनकोसी नदी में भूस्खलन के चलते पहाड़ टूट कर गिर गया है। मलबे के कारण नदी का मार्ग अवरुद्ध हो गया है। चारों ओर पहाड़ है। नेपाल की सेना डायनामाइट लगाकर इसे तोड़ने में जुटी है। पहाड़ के इस टुकड़े के चकनाचूर होने पर तेज गति के साथ पानी का बहाव बिहार की ओर होगा। इससे 10-11 मीटर की ऊंचाई में पानी कोसी में आएगा। ऐसी स्थिति में कोसी बैराज के समीप करीब ढाई लाख क्यूसेक (क्यूबिक फुट प्रति सेकेंड) पहुंचने की आशंका है। इससे बिहार में कोसी क्षेत्र के छह जिलों में भीषण बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है।
2008 में कोसी बरपा चुकी है कहर :
छह साल पहले 18 अगस्त, 2008 को कोसी नदी में नेपाल की ओर से अचानक भारी मात्रा में पानी आ जाने से कुसहा बांध टूट गया था। बाढ़ में 247 गांवों के करीब साढ़े सात लाख लोग प्रभावित हुए थे, जबकि 217 लोगों को जान गंवानी पड़ी। इसके अलावा दो लाख साठ हजार पशु भी बाढ़ की चपेट में आए और उनमें से 5445 की मौत हो गई। क्षेत्र में 50,769 लाख हेक्टेयर भूमि पर लगी फसल बर्बाद हो गई थी और 30 हजार से ज्यादा कच्चे मकान ध्वस्त हो गए थे।