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खुशवंत सिंह के निधन पर राष्ट्रपति सहित कई बड़ी हस्तियों ने जताया शोक


राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई बड़ी हस्तियों ने जानेमाने लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह के निधन पर शोक जताया और उन्हें श्रद्धांजलि दी. खुशवंत सिंह का 99 वर्ष की आयु में आज निधन हो गया.
प्रधानमंत्री ने खुशवंत को ‘‘प्रतिभाशाली लेखक, स्पष्टवादी टिप्पणीकार और एक प्रिय मित्र’’ बताया जिन्होंने सही रूप में सृजनात्मक जीवन जीया. वयोवृद्ध लेखक पिछले कुछ समय से बीमार थे और सार्वजनिक जीवन से दूर रह रहे थे. उनके पुत्र और पत्रकार राहुल सिंह ने बताया कि उन्होंने सुजान सिंह पार्क स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली.
 भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की.
 पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने सिंह के साथ टेनिस खेलने की बात याद की. उन्होंने कुछ शॉटों पर उनकी हंसी को याद करते हुए कहा कि वे आनंद के लिए खेलते थे न कि प्रतिस्पर्धा के लिए. खुशवंत सिंह से जुड़े रहे लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी और उनके साथ बिताए क्षणों को याद किया.
 वरिष्ठ पत्रकार मार्क टली ने उन्हें महान लेखक बताते हुए कहा कि खुशवंत सिंह का हास्यबोध काफी अच्छा था. टली ने कहा कि वह काफी स्पष्टवादी और साहसी व्यक्ति थे. उन्होंने कहा कि उन्हें याद है कि एक बार वह खुशवंत सिंह के साथ रात का खाना खा रहा था जब सिंह ने उर्दू शायरी के अपना व्यापक ज्ञान से उनका परिचय कराया. टली के अनुसार खुशवंत एक प्यारे इंसान थे. निडर, व्यंगात्मक और मजाकिया लेखन के लिए पहचाने जाने वाले विश्व प्रख्यात लेखक, पत्रकार और टिप्पणीकार खुशवंत सिंह का गुरुवार को निधन हो गया. वह 99 साल के थे. खुशवंत सिंह के परिजनों ने बताया कि उन्होंने सुजान सिंह पार्क स्थित अपार्टमेंट में शांति से आखिरी सांस ली. उनके दादा सर सुजान सिंह के अपूर्व योगदान से निर्मित राजधानी का सुजान सिंह पार्क उनका और उनके दौर के लोगों की पसंदीदा जगह है.
 खुशवंत सिंह की पत्नी कंवल का निधन पहले ही हो चुका है. उनके परिवार में एक बेटा राहुल सिंह और एक बेटी माला हैं. उनका अंतिम संस्कार गुरुवार शाम चार बजे लोदी रोड स्थित शवदाह गृह में किया जाएगा. 
देश के दूसरे उच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित खुशवंत सिंह की कई रचनाओं को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं. 'ट्रेन टू पाकिस्तान', 'आई शैल नॉट हियर द नाइटिंगल', 'ए हिस्ट्री ऑफ द सिख्स', 'द कंपनी ऑफ वुमन' और 'डेल्ही' इनमें प्रमुख हैं. उन्होंने 30 से ज्यादा उपन्यास, कई लघुकथाएं, निबंध और टिप्पणियां लिखी हैं.
 खुशवंत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी माने जाते थे, लेकिन वर्ष 1975-77 तक देश में लगे आपातकाल के दौरान प्रेस पर सेंसरशिप लगाए जाने से इस रिश्ते में दरार आ गई. बाद में खुशवंत, इंदिरा की बहू मेनका गांधी के करीबी और मार्गदर्शक रहे. खुशवंत ने वर्ष 2002 में अपनी जिंदगी, अपने परिवार के इतिहास और कई राजनेताओं से अपने रिश्ते के बारे में किताब 'सच, प्यार और थोड़ी-सी शरारत' लिखी.
 उन्हें 1947 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया, जिसे उन्होंने अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में सेना के कब्जे के विरोध में 1984 में लौटा दिया.
 खुशवंत के बेटे और पत्रकार-लेखक राहुल सिंह ने बताया कि उनके पिता ने कुछ सप्ताह पहले लिखना छोड़ दिया था, लेकिन हर रोज अखबार जरूर पढ़ते थे. उन्होंने कहा, "वह अंतिम समय तक दिमागी रूप से सजग और जागरूक रहे थे. उन्होंने एक भरपूर जिंदगी जी और बेहद शांत मन से दुनिया छोड़ी."
 विभाजन से पहले पाकिस्तान के हदाली में जन्मे खुशवंत सिंह इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया, द हिंदुस्तान टाइम्स और नेशनल हेराल्ड के संपादक रहे थे. इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया में उनका नियमित व्यंग्यात्मक कॉलम प्रकाशित होता रहा है.
 अपने विविध लेखन, हाजिर जवाबी और अच्छे जीवन के प्रति प्रेम के लिए विख्यात खुशवंत सिंह का लेखन उपन्यास और कहानियों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने राजनीतिक व्यंग्य, टिप्पणियां और समसामयिक कटाक्ष भी लिखे हैं.
 राहुल ने कहा, "वह एक नम्र स्वभाव के व्यक्ति थे और महात्मा गांधी और मदर टेरेसा के प्रशंसक थे. वह अच्छी सोच और अच्छे कर्म में विश्वास रखते थे. उन्हें पाखंड और चरमपंथी धारणाओं से नफरत थी." खुशवंत 1980 से 1986 तक सांसद रहे थे.
 उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "खुशवंत सिंह का एक लंबा सृजनात्मक और शानदार साहित्यिक करियर रहा है. इस दौरान उन्होंने विविध राजनीतिक लेख, कविताएं, निबंध और सामाजिक सारोकार के लेख लिखे हैं."
 अंसारी ने कहा, "लेखन और वक्तव्य में निडर और स्वतंत्र होकर अपने विचार रखने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा."