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खिलाड़ी ही बनें खेल संस्थाओं के मुखिया : सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने खेल निकायों पर राजनेताओं और व्यवसायियों के कब्जे को लेकर चिंता जताते हुए गुरुवार को कहा कि खेल संगठनों का नेतृत्व खिलाड़ियों के हाथों में ही दिया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर की खंडपीठ ने भारतीय हॉकी महासंघ (आईएचएफ) की याचिका की सुनवाई के दौरान यह बात कही।
खंडपीठ ने कहा कि खेल निकायों पर राजनेताओं और व्यवसायियों के कब्जे से खेलों का भला कतई नहीं हो रहा है। स्थिति तो ऐसी बन गई है कि जिन ओलंपिक खेलों में हॉकी में भारत लगातार स्वर्ण पदक जीतता रहा था, अब उसमें क्वालिफाई करने के लिए भारी जद्दोजहद करनी पडती है। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही दुखद है कि जिन लोगों का खेल से कोई लेनादेना नहीं, वे ही खेल निकायों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। इससे खेल का नुकसान हो रहा है। खंडपीठ ने पूछा कि क्या ये खेल निहित स्वार्थों के हाथों बंधक बने रहेंगे।
खंडपीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार खेलों पर नियंत्रण नहीं रख सकी है, जिसकी वजह से देश की विभिन्न अदालतों में खेल निकायों पर नियंत्रण संबंधी अनगिनत मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। कोर्ट ने हॉकी की दुर्दशा पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि इन राजनेताओं और व्यवसायियों ने हॉकी जैसे खेल को रसातल में मिला दिया है और भारतीय टीम अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों के लिए क्वालिफाई भी नहीं कर पा रही है।