पर्यटन के क्षेत्र में बिहार लगातार विकास कर रहा है। इस क्षेत्र में
रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। पर्यटन विभाग सड़क के किनारे के होटलों एवं
ढाबों के विकास के लिए पांच लाख रुपया देगी। यह जानकारी पर्यटन मंत्री
सुनील कुमार पिंटू ने शुक्रवार को विधानसभा में दी। वे विभाग की मांग पर
हुई बहस का जवाब दे रहे थे। सदन ने ध्वनिमत से पर्यटन विभाग की एक अरब सात
करोड़ रुपये की मांग को मंजूरी दी।
मंत्री ने बताया कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां बौद्ध, जैन, सिख,
इस्लाम एवं हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ स्थल हैं। विश्व की पहली महिला सूफी
भी जहानाबाद के काको की हुई। उन्होंने बताया कि यहां के ग्रामीण क्षेत्रों
में भी पर्यटन की संभावनाएं हैं। मधुबनी पेटिंग एवं मुजफ्फरपुर जिले में
लहठी उद्योग को देखने में भी पर्यटकों की दिलचस्पी है। राज्य सरकार थावे से
महिषी तक शक्ति सर्किट बनाना चाहती है। इसका विस्तार असम के कामाख्या तक
होगा। इसी तरह शिव शक्ति सर्किट की भी परिकल्पना की गई है। पिंटू ने बताया
कि पर्यटकों की संख्या हर साल बढ़ रही है। 2003 में 60 हजार विदेशी पर्यटक
बिहार आए थे। इस साल दिसम्बर तक करीब 11 लाख विदेशी पर्यटकों ने बिहार का
भ्रमण किया।
मंत्री के अनुसार विभाग का बजट भी बढ़ा है। 2002-03 में विभाग का बजट महज दो करोड़ रुपये का था। अगले वित्त वर्ष के लिए एक सौ सात करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि एक पर्यटक के आने से कम से कम 10 लोगों को आमदनी होती है। आज से आठ साल पहले बिहार राज्य पर्यटन निगम 69 लाख रुपये के घाटे में था। निगम को इस साल दो करोड़ 37 लाख रुपये का मुनाफा हुआ है। इसमें से एक करोड़ रुपया मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन के मोर्चे पर बिहार का देश में सातवां स्थान है। केरल और कर्नाटक से अधिक पर्यटक बिहार आते हैं। पहले राज्य में चार महोत्सव आयोजित होता था। अब 24 महोत्सव आयोजित हो रहे हैं।
मंत्री के अनुसार विभाग का बजट भी बढ़ा है। 2002-03 में विभाग का बजट महज दो करोड़ रुपये का था। अगले वित्त वर्ष के लिए एक सौ सात करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि एक पर्यटक के आने से कम से कम 10 लोगों को आमदनी होती है। आज से आठ साल पहले बिहार राज्य पर्यटन निगम 69 लाख रुपये के घाटे में था। निगम को इस साल दो करोड़ 37 लाख रुपये का मुनाफा हुआ है। इसमें से एक करोड़ रुपया मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन के मोर्चे पर बिहार का देश में सातवां स्थान है। केरल और कर्नाटक से अधिक पर्यटक बिहार आते हैं। पहले राज्य में चार महोत्सव आयोजित होता था। अब 24 महोत्सव आयोजित हो रहे हैं।
