राजेश कानोडिया, नवगछिया
इसी माह की 26 तारीख को दीपोत्सव का पर्व दीवाली मनाई जाएगी। इस मौके पर दीये की प्रचुर मांग के सामने गंगा पार के कुम्हारों के समक्ष मिट्टी की भारी किल्लत हो गई है। लाचारी वश कई कुम्हार अपने घरों में जमा मिट्टी, तो कुछ दरवाजे की मिट्टी तो कुछ जमीन की मिट्टी काट कर दीयों के निर्माण में जुट चुके हैं। जहां इस वर्ष माटी के दीयों के भी महंगे मिलने की संभावना है। इन दीयों का मुख्य बाजार नवगछिया, बिहपुर एवं नारायणपुर है। इन बाजारों से इलाकों के लोग दीये खरीद कर दीपोत्सव में अपने-अपने घरों एवं प्रतिष्ठानों को रोशन करेंगे। नवगछिया शहर से सटे रंगरा प्रखंड के भवानीपुर गांव के नया टोला के कुम्हार मनोज पंडित, निरंजन पंडित बताते हैं कि चारों ओर गंगा और कोसी की बाढ़ के कारण इस वर्ष अच्छी मिट्टी की भारी किल्लत है। बहुत दूर से मिट्टी लाना भी काफी महंगा पड़ता है। लाचारी में हम लोग अपने घरों की मिट्टी से ही इस वर्ष दीयों का निर्माण कर रहे हैं जिससे बाबूओं की बिल्डिंग रोशन होगी। मिट्टी की किल्लत और महंगाई की मार के कारण कुम्हार बताते हैं कि इस वर्ष माटी के छोटे दीये 40 से 50 रूपये प्रति सैकड़ा की दर से बेचे जायेंगे। जबकि पिछले वर्ष इनका मूल्य 10 से 25 रुपये प्रति सैकड़ा तक रहा था। वहीं दीरी (ढिबरी) इस वर्ष 100 से 150 रुपये प्रति सैंकड़ा तथा ढकनी अथवा सिकोरी 60 से 100 रुपये प्रति सैकड़ा बिकेगी। जबकि पिछले वर्ष दीरी 40 से 60 रुपये तथा कनी अथवा सिकोरी 30 से 50 रुपये सैंकड़ा बिकी थी।